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जान जोखिम में डाल रहे अनफिट वाहन

निरंकार जायसवाल बाराबंकी अनफिट वाहन से चलना अपनी और दूसरों की जान को जोखिम में डा

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 12:16 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 12:16 AM (IST)
जान जोखिम में डाल रहे अनफिट वाहन
जान जोखिम में डाल रहे अनफिट वाहन

निरंकार जायसवाल, बाराबंकी:

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अनफिट वाहन से चलना अपनी और दूसरों की जान को जोखिम में डालना होता है। वाहन की फिटनेस समय से कराना केवल विभाग की ही नहीं बल्कि वाहन स्वामी की भी जिम्मेदारी होती है। दोनों छोर से होने वाली खामी अथवा अनदेखी से सड़कों पर अनफिट वाहन फर्राटा भरते रहते हैं। आंकड़ों के अनुसार कुल हादसों के 2.5 प्रतिशत हादसे अनफिट वाहनों के कारण ही होते हैं। वाहनों की फिटनेस खासतौर पर स्कूली बसों की फिटनेस को लेकर शासन प्रशासन गंभीर है। इसी क्रम में जिलों में फिटनेस ट्रैक बनाए जाने की प्रक्रिया लंबित है।

फिटनेस का नियम : एआरटीओ पंकज सिंह ने बताया कि एमवी एक्ट के नियम-39 के तहत वाहनों के फिटनेस का प्रावधान है। प्रत्येक कामर्शियल वाहन और सात सीट से अधिक वाले निजी वाहनों का प्रत्येक वर्ष फिटनेस होता है। नए वाहनों में फिटनेस की वैधता दो वर्ष की होती है। चेकिग के दौरान ब्रेक, टॉयर, हेड व बैक लाइट के साथ इंडीकेटर और नीला, लाल व सफेद रंग के लगे रिफ्लेक्टर के साथ इंजन की स्थिति मानक के अनुरूप होनी चाहिए।

पहले पांच फिर दस हजार का चालान : अनफिट वाहनों पर पांच हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है। एआरटीओ ने बताया कि पहली बार पांच हजार और अगर वही वाहन दोबारा अनफिट पाया जाता है तो दस हजार रुपये चालान होता है। नष्ट होने चाहिए जुगाड़ वाहन : जुगाड़ वाहनों पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। यह वाहन चालक और राहगीर दोनों के लिए घातक होते हैं। इसके बावजूद जिले में तमाम जुगाड़ वाहन माल ढोते देखे जा सकते हैं। एआरटीओ ने बताया कि जुगाड़ वाहन चलते पाए जाने पर उसे पकड़कर थाने में सिपुर्द करने और फिर वाहन स्वामी के सामने ऐसे वाहन को नष्ट कर देने का प्रावधान है। वहीं, ट्रैक्टर-ट्रॉली रिफ्लेक्टर न होने के कारण हादसे का कारण बनते हैं। परिवहन विभाग और यातायात पुलिस प्रतिमाह करीब ढाई सौ वाहनों में रिफ्लेक्टर लगवाती है। हादसों के बाद जागता है विभाग : स्कूली, रोडवेज अथवा निजी टूरिस्ट बसों से होने वाले भीषण हादसों के बाद परिवहन विभाग की नींद खुलती है। खानापूरी कर कार्रवाई का दिखावा किया जाता है फिर धीरे-धीरे फिर पूरा सिस्टम पुराने ढर्रे पर आ जाता है। नियमित कार्रवाई और जागरूकता किसी भी भीषण वारदात को टालती है।

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अनफिट वाहनों के खिलाफ निरंतर अभियान चलाया जाता है। हमारे स्वास्थ्य की तरह वाहन का स्वस्थ रहना भी नितांत आवश्यक होता है। ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में रिफ्लेक्टर लगाए जाने का अभियान चलाया जा रहा है। ठंड का मौसम आ गया है और रिफ्लेक्टर न होने के कारण हादसों की संभावना बढ जाती है।

पंकज सिंह, सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी प्रशासन

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कार्मिशयल वाहन खासतौर पर स्कूली बसों में नित नए नियम बनाए जा रहे हैं। फिटनेस जरूरी है लेकिन प्रयोग के तरीकों का ध्यान रखा जाए। करीब 80 फीसद सरकारी बसें बिना फिटनेस के चलती हैं। विभाग व सरकार को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए। चूंकि, हादसे पर बीमा क्लेम की रकम बहुत अधिक होती है इसलिए वाहनों की फिटनेस में ट्रॉसपोर्टर लापरवाही नहीं करते। अनफिट वाहन होने की दशा में क्लेम जेब से भरना पड़ता है।

उमाशंकर वर्मा उफ मुन्नू भईया, अध्यक्ष बाराबंकी ट्रक आपरेटर एसोसिएशन


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