बाराबंकी के 15 वृक्षों को विरासत वृक्ष का दर्जा
सौ वर्ष या उससे अधिक पुराने वृक्षों को वन विभाग विरासत के तौर पर संजोने की शुरूआत हुई है।
बाराबंकी : सौ वर्ष या उससे अधिक पुराने वृक्षों को वन विभाग विरासत के तौर पर संजोने की शुरुआत हो चुकी है। पारिजात और दादौरा के बरगद वृक्ष सहित 15 वृक्षों को सूचीबद्ध किया गया है। इंटरनेट पर हेरीटेज या विरासत वृक्ष डालते ही जिले के इन वृक्षों की फोटो, इतिहास, लोकेशन सहित तमाम विवरण सामने आ जाएंगे। चयनित वृक्षों का स्थान, जीपीएफ लोकेशन, प्रजाति, वानस्पतिक नाम, विरासत वृक्ष के रूप चयन का आधार, वृक्ष की गोलाई, अनुमानित आयु, ऐतिहासिक महत्व और वृक्षों से जुड़ी स्थानीय लोक कथा एंव परंपराएं सहित वृक्ष की भूमि का प्रकार दर्ज किया गया है। इन्हें मिला हेरीटेज वृक्ष का दर्जा : बरौलिया के देववृक्ष पारिजात, दादौरा के बरगद, अमोलीकला के वट वृक्ष, फतेहपुर के सुर्जनपुर मूडाभारी बरगद, टांडा निजाम अली में बरगद, खेरिया में पीपल का वृक्ष, मोहम्मदपुर गांव में रेठ नदी की तलहटी पर बरगद, रामसनेहीघाट के टिकैतनगर-भेलसरमार्ग पर अजईमऊ में पीपल, टांडा में बरगद, मंगूपुर उदईपुर में नीम, देवा के सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में पीपल, दऊरिहारा में पीपल, अच्छरीपुरवा में पुराना पाकड़, हैदरगढ़ रेंज में नरौली टिका रामन बाबा परिसर में बरगद का वृक्ष, हरख रेंज में जैदपुर मार्ग पर पुराना पीपल का वृक्ष को विरासत वृक्षों में शामिल किया गया है। इस निर्णय से क्षेत्र में हर्ष का माहौल है। लोगों का कहना है कि इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। ---------------------
विरासत वृक्षों के लिए चयन का आधार सौ वर्ष से अधिक की आयु का रखा गया था। जैव विविधता बोर्ड के सचिव को प्रेषित किया गया था। जिले के 15 वृक्षों को विरासत वृक्षों में शामिल किया गया है। डा. एनके सिंह, डीएफओ, बाराबंकी