कच्चा मकान ढहने से महिला की दबकर मौत
दो मंजिला मकान ढहने से महिला की दबकर मौत
कच्चा मकान ढहने से महिला की दबकर मौत
जागरण संवाददाता, बांदा : वर्षा के मौसम में कच्चा मकान ढहने से मलबे में दबकर महिला की मौत हो गई। पुलिस व पड़ोसियों की मदद से एक घंटे बाद निकाला गया, तब तक दम टूट चुका था। घटना को लेकर अफरातफरी मची रही।
कमासिन थाना के ग्राम छिलोलर निवासी भभुआ प्रजापति की 52 वर्षीय पत्नी पुनिया शाम करीब साढ़े तीन बजे घर के अंदर कमरे में रखा प्याज व खाना बनाने के लिए दाल-चावल निकालने गई थीं। अचानक मकान का वह हिस्सा ढह गया। इससे वह मलबे के नीचे दब गईं। शोर सुनकर आसपास मौजूद लोग मदद को दौड़ पड़े। बाहर गए स्वजन को घटना की सूचना दी गई। मलबा में महिला की खोजबीन शुरू की गई। करीब 25 मिनट के अंदर थाने से पहुंचे पुलिस कर्मियों ने भी मदद करना शुरू किया। इस बीच करीब एक घंटे तक वह मलबे के नीचे दबी रहीं। काफी मशक्कत के बाद मलबे से उसे बाहर निकाला गया तो उसकी सांसें थम चुकी थीं। बेटे पप्पू प्रजापति ने बताया कि गांव की महिला आशा कुशवाहा को उन्हें कुछ रुपये देने थे। घटना के समय रुपये के बदले में वह उनकी मां से प्याज लेने आई थीं। इससे मां प्याज व खाना बनाने के लिए अन्य सामान निकालने कमरे में गईं थीं। उनकी साड़ी के पल्लू में प्याज बंधा मिला। कुछ दूरी पर डलिया से गिरी अन्य खाद्य सामग्री फैली थी। राजस्व कर्मियों को घटना की जानकारी दी गई है। प्रभारी निरीक्षक उमेश चंद्र सिंह ने बताया कि कागजी कार्रवाई की गई।
----------------------------------------------
पति के साथ कृषि कार्य में बंटाती थीं हाथ :
स्वजन ने बताया कि चार पुत्र व चार पुत्रियां हैं। उसके नाम करीब छह बीघा जमीन है। परिवार के भरण-पोषण के लिए के पति के साथ कृषि कार्य में हाथ बंटाने के साथ वह मजदूरी करती थीं। घटना से स्वजन का रो-रोकर बुराहाल है।
----------------------------------------
सप्ताह भर पहले घर की थी मरम्मत :
बेटे पप्पू ने बताया कि करीब 20 वर्ष पुराना उनका घर ढहा है। करीब सप्ताह भर पहले उन्होंने घर के छप्पर आदि की मरम्मत की थी। घर की दीवारें करीब ढाई फीट चौड़ी थीं। इससे वह गिरने की स्थिति में नहीं था। गनीमत रही कि हादसे के समय गांव की महिला आशा घर के अंदर नहीं गई थी। वह नजदीक की दुकान में रुककर मां के आने का इंतजार कर रही थी। इससे वह हादसे का शिकार होने से बच गईं। हादसे से घर में रखा खाने का सामान व अन्य गृहस्थी बर्बाद हो गई। नकदी व जेवर आदि भी मलबे में दब गए हैं। पीड़ित परिवार को आर्थिक नुकसान भी हुआ है।