हल्दी के शगुन से बुंदेलखंड में लहलहाने लगा मुनाफा
जागरण संवाददाता बांदा बुंदेलखंड में भी अब किसानों ने खेती-बारी को हाईटेक करने के साथ
जागरण संवाददाता, बांदा : बुंदेलखंड में भी अब किसानों ने खेती-बारी को हाईटेक करने के साथ व्यवसायिक खेती की परंपरा अपना ली है। कृषि विवि की तकनीक से किसानों के कदम हल्दी की खेती की ओर बढ़ा रहे हैं। खेरवा में प्रगतिशील किसान के यहां दस एकड़ में हल्दी की खेती लहलहा रही है। एक एकड़ में की फसल में 15 हजार रुपये लागत आती है और एक लाख रुपये से ज्यादा का शुद्ध मुनाफा होता है।
बुंदेलखंड में किसानों का पलायन रोकने और उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए कृषि विश्वविद्यालय तथा उद्यान विभाग व्यवसायिक व तकनीकी खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। तमाम किसान पपीता, आम, अमरूद, नींबू की बागवानी के बाद अब मसाला की खेती पर जोर दे रहे हैं। इसमें हल्दी की खेती भी शामिल है। बाजार में हल्दी की कीमत करीब 100 रुपये किलो है। अभी ज्यादातर हल्दी नागपुर व महाराष्ट्र से आती है। कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में हल्दी की खेती को लेकर शोध भी चल रहा है। साथ ही किसानों को तकनीक मुहैया कराकर हल्दी की खेती कराने पर जोर दिया है। वहीं उद्यान विभाग से इस पर प्रति एकड़ 15 से 20 हजार रुपये अनुदान दिया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि हल्दी की खेती के लिए बुंदेलखंड की जमीन पूरी तरह उपयुक्त है। यहां किसान मसाला की खेती में आत्मनिर्भर होने के साथ अच्छी आय ले सकते हैं। महुआ ब्लाक के खेरवा गांव में प्रगतिशील किसान संजीव अवस्थी के यहां दस एकड़ में हल्दी की खेती की जा रही है। जून के अंतिम सप्ताह में इसकी बोआई की थी। अब यह लहलहाने लगी है। करीब दो माह बाद इसकी खुदाई शुरू हो जाएगी। हल्दी की उपज बेचने में भी कोई मशक्कत नहीं करनी होगी और मुनाफा भी बेहतर होगा। विज्ञान के अलावा प्रगतिशील किसान जाहिद अली अतर्रा और मोहम्मद असलम छनेहरालालपुर भी हल्दी की खेती कर रहे हैं।
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ऐसे होगा हल्दी की उपज से मुनाफा
बांदा : प्रगतिशील किसान संजीव अवस्थी कहते हैं कि एक एकड़ में 3 क्विंटल हल्दी का बीज लगाया जाता है। इसकी कीमत करीब 12 हजार रुपये है। साथ ही तीन हजार रुपये खेत की तैयारी और मजदूरी में लगता है। इस तरह 15 हजार रुपये प्रति एकड़ खर्च आता है। एक एकड़ में एक वर्ष में 30 क्विंटल हल्दी का उत्पादन होता है। इसकी कीमत करीब एक लाख 20 हजार रुपये है।
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क्या कहते हैं प्रगतिशील किसान
भारत सरकार से जगजीवन राम अभिनव पुरस्कार से सम्मानित प्रगतिशील किसान विज्ञान शुक्ला कहते हैं अन्य फसलों की अपेक्षा हल्दी की खेती में आमदनी अच्छी होती है। यह किसानों के लिए अधिक आय का साधन है। साल में दो बार इस की निराई गुड़ाई करनी पड़ती है।
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प्रति हेक्टेयर 12 हजार अनुदान
- मसाला (हल्दी) की खेती किसानों के लिए बुंदेलखंड में वरदान होगी। विभाग की ओर से उन्हें प्रति हेक्टेयर 12 हजार रुपये अनुदान दिया जा रहा है। किसान ज्यादा से ज्यादा इसका लाभ उठाएं।
-कृष्ण मोहन चौधरी, उप निदेशक उद्यान, चित्रकूटधाम मंडल, बांदा