लापरवाही का 'घुन' खा रहा सरकार का गेहूं
जागरण संवाददाता, बांदा : किसानों से खरीदा गया सरकारी लापरवाही का घुन खाए जा रहा है। साधन सहक
जागरण संवाददाता, बांदा : किसानों से खरीदा गया सरकारी लापरवाही का घुन खाए जा रहा है। साधन सहकारी समिति निवाइच गेहूं खरीद केंद्र पर खरीद के छह माह गुजरने के बाद भी उसके रख-रखाव का उचित इंतजाम नहीं किया गया है। इससे सात हजार मीट्रिक टन बचे पडे़ गेहूं में से 3500 क्विंटल खराब हो चुका है जबकि बाकी खराब होने की स्थिति में है। प्रभारी ने उसे भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) को भेजना भी मुनासिब नहीं समझा। प्रभारी को निलंबित किया गया लेकिन चंद रोज बाद ही उसे फिर केंद्र की चाभी सौंप दी गई। प्रभारी ने पीसीएफ प्रबंधक को कई बार पत्र भी लिखा, लेकिन गेहूं संरक्षण का कोई इंतजाम नहीं हुआ।
पीसीएफ और साधन सहकारी समितियों ने इस वित्तीय वर्ष में 40 गेहूं खरीद केंद्र खोले थे। इसमें सात केंद्र पीसीएफ और अन्य केंद्र समितियों के थे। इन सभी खरीद केंद्रों के लिए 28,400 मीट्रिक टन का लक्ष्य दिया गया था। इन पर करीब 10,728 किसानों ने अपना गेहूं बेचा था। दरअसल कोआपरेटिव की साधन सहकारी समितियां जो भी गेहूं व धान की खरीदती हैं, उसकी मॉनिट¨रग और भुगतान आदि नोडल एजेंसी पीसीएफ ही करती है। सोसाइटी को सिर्फ कमीशन मिलता है। प्रति क्विंटल 27 रुपये कमीशन निर्धारित है और इसी से वेतन आदि का भुगतान भी होता है। पीसीएफ ने गेहूं खरीद में सोसाइटी को इस साल किसानों के भुगतान के लिए 55.60 करोड़ रुपये दिए। सोसाइटी ने लक्ष्य के सापेक्ष 38,952 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा था। इसमें से 27,615 मीट्रिक टन गेहूं एफसीआइ को भेजा गया। 11,336 मीट्रिक टन गेहूं केंद्रों में डंप रहा। बाद में अधिकारियों के दबाव पर बाकी गेहूं डिलीवर्ड तो हुआ, लेकिन मुरवल और पैलानी सोसाइटी में करीब सात हजार मीट्रिक टन गेहूं रोक लिया गया। निवाइच सोसाइटी के प्रभारी राजेंद्र अवस्थी ने बताया कि 3500 क्विंटल गेहूं खराब हो चुका है जबकि उठान न होने से सारा गेहूं खराब हो रहा है। कई बार लिखा-पढ़ी भी की लेकिन कुछ नहीं हुआ। गेहूं सुरक्षित करने के लिए कीटनाशक दवा डलवाई गई है लेकिन उसे ज्यादा दिन तक सुरक्षित नहीं रखा जा सकता है।
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निलंबित हुए थे केंद्र प्रभारी
किसानों का गेहूं खरीदने के बाद उसे एफसीआइ भेजने में लापरवाही पर आरएफसी ने केंद्र प्रभारी राजेंद्र अवस्थी को निलंबित कर दिया था लेकिन चंद दिनों बाद उन्हें बहाल कर दिया गया।
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''केंद्रों में रखे गेहूं की बिक्री व नीलामी की जिम्मेदारी एआर कोआपरेटिव की है। पीसीएफ ने जितनी धनराशि किसानों के भुगतान के लिए दी, वह सोसाइटी से चाहिए।
- हरिओम शुक्ला, जिला प्रबंधक, पीसीएफ