पहरा इतना कड़ा..पुलिस तक कोई फरियाद भी नहीं पहुंचती
जागरण संवाददाता बांदा आधा दर्जन से ज्यादा मोहल्लों की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाने वाली जेल प
जागरण संवाददाता, बांदा : आधा दर्जन से ज्यादा मोहल्लों की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाने वाली जेल पुलिस चौकी माफिया मुख्तार अंसारी को मंडल कारागार में शिफ्ट किए जाने के बाद खुद भी 'कैद' होकर रह गई है। जेल परिसर में बनी यह चौकी सुरक्षा इंतजाम के दायरे में आकर फरियादियों की पहुंच से दूर हो गई है। जेल गेट पर ही पहरा इतना कड़ा है कि पुलिस तक कोई फरियाद नहीं पहुंचती है।
पुलिस लाइन रोड पर सड़क किनारे मंडल कारागार के परिसर में खुली पुलिस चौकी में आने के लिए पहले मुख्य द्वार फरियादियों के लिए खुला रहता था। माफिया मुख्तार के आने के बाद मुख्य द्वार बंद कर दिया गया है। नतीजा, इलाकाई लोग किसी प्रकार की फरियाद भी दर्ज नहीं करा पा रहे हैं। बस गेट तक जाते हैं और अपनी गुहार गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मियों से लगाते हैं। काफी इंतजार के बाद बैरंग लौट जाते हैं। पुलिस चौकी क्षेत्र में शंभूनगर, स्वराज कालोनी, झील का पुरवा, क्योटरा, कंचन पुरवा समेत सात मोहल्ले आते हैं। केन नदी पुल तक के इलाके की करीब 30 हजार आबादी की सुरक्षा का भार है।
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बदल गई बाइक, युवक रहा भटक
मूलरूप से कानपुर देहात के मैथा ब्लाक के बाघपुर निवासी शिवगोपाल का पुत्र शिवचंद्र यहां कंचन पुरवा में रहकर मछली बेचने का काम करता है। उसने बताया कि वह काम से स्वराज कॉलोनी के साहब तालाब गया था। इसी बीच उसकी नई बाइक गायब हो गई, वहां एक पुरानी बाइक खड़ी थी। काफी इंतजार के बाद वह उसे ही लेकर चला आया। तब से जेल चौकी में सूचना दर्ज कराने को भटक रहा है। गेट पर तैनात सिपाही अंदर नहीं जाने देते हैं। उसे शक है कि कहीं बाइक चोरी की न हो, जिससे वह फंस जाए।
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हटवा दी गई आसपास की दुकानें, उजड़े गरीब
जेल की सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद करने के बाद आसपास गुमटीनुमा दुकानों को भी हटवा दिया गया है। इन दुकानों से बंदियों के स्वजन सामान खरीदकर जेल के अंदर भिजवाते थे। लंबे अरसे से यहां पर कुछ लोग लोहे की गुमटी रखे हुए थे। झील का पुरवा निवासी महिला व अन्य लोगों का परिवार ऐसी ही दुकानों से होने वाली आय से चल रहा है। दुल्ली देवी ने बताया कि 10 वर्षो से गुमटी रखकर चाय व अन्य सामान बेच परिवार पाल रहीं हैं। अब यहां से उजाड़ दिया गया है।