एएसपी पर भारी पड़ी लाल सोने की चमक और ठाकुर से दोस्ती
जागरण संवाददाता बांदा एएसपी महेंद्र प्रताप चौहान की खाकी पर लाल सोने का ऐसा मुलम्मा चढ़ा ि
जागरण संवाददाता, बांदा : एएसपी महेंद्र प्रताप चौहान की खाकी पर लाल सोने का ऐसा मुलम्मा चढ़ा कि उसकी चमक में कर्तव्य व कानून का पालन कराना ही भूल गए। एक कथित ठाकुर साहब की दोस्ती और अवैध परिवहन में सिरे से ऐसे डूबे कि निलंबित कर दिए गए। सबसे बड़ा सवाल यह कि वह कौन एसपी सिंह है, जिसके मायाजाल में महेंद्र प्रताप चौहान आकंठ डूबे रहे। खुलकर थानों के सामने से ओवरलोड ट्रक व डंपर गुजरते रहे, शिकायतों पर भी किसी जिम्मेदार ने कोई कार्रवाई नहीं की।
भले जिले में नदियों से कागजों में खनन बंद हो गया हो, पर अवैध खनन की शिकायतें आम होती रहीं। संबंधित थाना पुलिस ने हमेशा मुंह बंद रखा। एसटीएफ एसएसपी की जांच रिपोर्ट में यह तथ्य आया कि नरैनी और गिरवां क्षेत्र से मध्य प्रदेश से आने वाले ट्रकों को कथित एसपी सिंह एएसपी की वार्ता का हवाला देकर पास कराता रहा। ऐसा नहीं कि यह हाल का ही मसला रहा हो। लंबे समय से यह खेल जारी रहा। मीडिया में खबरें सुर्खी बनती रहीं पर आलाधिकारियों ने कभी कोई कदम नहीं उठाए। यह जरूर है कि गाहे-बगाहे जांच के नाम पर कुछ ट्रकों को ओवरलोडिग के नाम पर सीज जरूर किया जाता रहा। खास बात यह कि केवल नरैनी और गिरवां क्षेत्र की नहीं बल्कि मटौंध थाने के सामने से भी मध्य प्रदेश से आने वाले ओवरलोड ट्रक व डंपर खुलेआम गुजरते हैं।
इंट्री के नाम पर होती अवैध उगाही
खनन से जुड़े सूत्र बताते हैं कि सारा खेल इंट्री का रहता है। ट्रक पास कराने का ठेका लेने वाले माफिया इंट्री फीस के नाम पर वसूली करते हैं। जिसमें हर उस संबंधित का हिस्सा बंधा होता है, जो रोक-टोक कर सकता है।
बड़ा सवाल, जांच का अधिकार नहीं तो क्यों फंसे
जब नदियों से खनन चालू था तो ग्रामीण ओवरलोडिग और अवैध खनन की शिकायतें करते थे। संबंधित थाना पुलिस से लेकर एएसपी महेंद्र प्रताप चौहान यही कहते रहे कि पुलिस को जांच का अधिकार नहीं है। जब जांच का अधिकार नहीं तो खुद एएसपी कैसे आकंठ पूरे खेल में डूबे रहे। जाहिर है कि हर संबंधित उन थानों के जिम्मेदारों तक यह संदेश रहा कि बेरोकटोक ओवरलोडिग और अवैध खनन पर आंख बंद रखी जाए। कम से कम जांच रिपोर्ट तो यही गवाही देती है।
अभी और पर हो सकती है कार्रवाई
महकमे में चर्चा है कि जल्द ही ऐसे थानों के जिम्मेदार भी कार्रवाई की जद में आ सकते हैं, जिनके लिए कुर्सी केवल सोना देने वाली साबित हुई है। हालांकि नरैनी और गिरवां का जिक्र जांच रिपोर्ट में आ चुका है, पर मटौंध भी ऐसा प्रमुख थाना है जिसके सामने से मध्य प्रदेश की तरफ से आने वाले ओवरलोड वाहन बेखौफ गुजरते हैं।