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बांदा में किसानों पर भारी पड़ रही लेखपालों की मनमानी

जागरण संवाददाता बांदा धान बेचने के लिए किसान दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। फीडिग व ल

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 Dec 2020 11:11 PM (IST)Updated: Sat, 26 Dec 2020 11:11 PM (IST)
बांदा में किसानों पर भारी पड़ रही लेखपालों की मनमानी
बांदा में किसानों पर भारी पड़ रही लेखपालों की मनमानी

जागरण संवाददाता, बांदा : धान बेचने के लिए किसान दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। फीडिग व लेखपाल की रिपोर्ट के नाम पर वह तहसील के चक्कर काट रहे हैं। लेखपाल एक तो मिलते नहीं हैं और मिलते हैं तो रोज टरकाते हैं। ऐसे में जिले की सीमा में स्थित करतल मंडी क्षेत्र के सैकड़ों किसान अपना धान नहीं बेंच पा रहे हैं। इसका फायदा आढ़ती उठा रहे हैं।

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ग्राम पंचायत करतल, बिल्हरका, हाराजपुर, रगौली, नहरी, बडैछा,चंदपुरा, पुकारी यह सभी ग्राम पंचायतें मध्य प्रदेश की सीमा में स्थित हैं। न्याय पंचायत करतल के अंतर्गत 14 ग्राम पंचायतों एवं 24 मजरो के करीब दस हजार किसान आते हैं। किसान करतल मंडी में खुले खरीद केंद्र में जाकर अपना धान बेचना चाहते हैं। मंडी प्रभारी कहते हैं कि पहले लेखपाल की सत्यापन रिपोर्ट लगवाएं और फीडिग कराएं, तब धान खरीद होगी और कूपन मंडी से दिया जाएगा। धान बेचने की परमिशन के नाम पर पहले किसान को अपने खसरा खतौनी के कागजात फीड कराने पड़ते हैं। इसके बाद लेखपाल उसमें रिपोर्ट लगाता है। हल्का लेखपाल के रिपोर्ट लगाने के बाद पुन: तहसील में फील्डिग होती है। तब किसान को धान खरीद खरीद केंद्र में धान बेचने का अवसर मिलता है। इस पर बिल्हरका,रगौली, करतल, नेढ़ुवा, नहरी, चंदपुरा, बाबूपुर आदि के हलका लेखपाल किसानों को बार-बार तहसील बुलाकर चक्कर कटवा रहे हैं। इससे किसानों में भारी आक्रोश है। किसानों की धान की मडाई एवं रोजमर्रा जिदगी के कार्य भी बाधित हो रहे हैं। लेखपाल बार-बार किसानों को तहसील बुलाकर वापस कर देते हैं। कहा जाता है कि अभी सरवर नहीं है और फीडिग का कार्य नहीं हो पा रहा है।

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-सभी हल्का लेखपालों को अवगत कराया गया है और आदेश कराया जा चुका है। किसानों को परेशान न करें और किसानों की खतौनी के मुताबिक उनकी रिपोर्ट लगा दें, ताकि वह समय से अपनी धान दे सके।

-सुशील कुमार, तहसीलदार, नरैनी

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-किसानों को जान बूझकर हल्का लेखपाल बार-बार तहसील में बुलाकर वापस कर रहे हैं। किसानों की खतौनी के मुताबिक रिपोर्ट नहीं लगाई जाती है। इससे किसानों में भारी आक्रोश है। यदि व्यवस्ता में सुधार नहीं होता तो किसान आंदोलन को बाध्य होंगे।

-अमर सिंह, अध्यक्ष, भारतीय किसान यूनियन


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