शिक्षक भर्ती : यूं ही हंगामा नहीं बरपा, कुछ तो हुआ है
जागरण संवाददाता बांदा बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में नियुक्तियों को लेकर शिकायतो
जागरण संवाददाता, बांदा : बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में नियुक्तियों को लेकर शिकायतों का दौर विज्ञप्ति निकलने के साथ ही शुरू हो गया था। सपा राज्यसभा सदस्य, भाजपा विधायक व खुद विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर समेत कई ने शिकायतें भेजी थी। प्रधानमंत्री से लेकर राज्यपाल तक आरक्षण रोस्टर का पालन न करने की आपत्ति दर्ज कराई गई थी। विश्वविद्यालय प्रशासन से जवाब तक तलब किया गया। जाहिर है नियुक्तियों को लेकर रार लंबे समय से शुरू हो गई थी। हालांकि एक जून को रिजल्ट घोषित होने के बाद जब एक ही जाति विशेष के कई अभ्यर्थी चयनित हुए तो शक गहराने लगा कि कहीं कुछ तो है। हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने शुक्रवार को बयान जारी करते हुए शासनादेश के मुताबिक सभी नियमों का पालन करते हुए नियुक्ति प्रक्रिया पूरी किए जाने का दावा किया है।
कृषि विश्वविद्यालय में 40 पदों के लिए दो बार में विज्ञप्ति प्रकाशित की गई। आरोप है कि खेल यहीं से शुरू किया गया। तिदवारी से भाजपा विधायक ब्रजेश कुमार प्रजापति ने प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री तक को पत्र भेजकर शिकायत दर्ज कराई कि कुछ चहेतों को नियुक्त करने के लिए दो बार विज्ञापन निकाले गए। इससे आरक्षण का रोस्टर प्रभावित हुआ। दोनो का रोस्टर अलग-अलग बना। जिससे संयुक्त आरक्षण के हिसाब से 40 में 26 पदों का आरक्षण गलत हो गया। जो पद आरक्षित होने चाहिए थे वह अनारक्षित हो गए। विधायक ब्रजेश प्रजापति कहते हैं कि सभी पदों की विज्ञप्ति एक साथ जारी होती तो आरक्षण रोस्टर सही रहता। पात्र अभ्यर्थियों का चयन होता। केवल विधायक नहीं बल्कि राज्यसभा सदस्य विशंभर प्रसाद निषाद, राजेश तिवारी, सुशील त्रिवेदी समेत कई लोगों ने प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए शिकायतें दर्ज कराई थी। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी 17 फरवरी को कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान अनुभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखा था। जिसमें कहा गया था कि 27 जनवरी को आयोग के समक्ष डा.एसबी सिंह ने रोस्टर आरक्षण के नियमों की अवहेलना किए जाने की शिकायत की है।
-------------
राजभवन से भी मांगी गई थी जानकारी
बांदा : कुलाधिपति के विशेष कार्याधिकारी डा.पंकज एल जानी की तरफ से 19 फरवरी को कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति को पत्र भेजा गया था। जिसमें लिखा था राज्यसभा सांसद विशंभर प्रसाद निषाद, राजेश तिवारी, अखिलेशनाथ दीक्षित, सुशील त्रिवेदी, असिस्टेंट प्रो.डा.एसबी सिंह और संदीप तिवारी की तरफ से सचिवालय ने विश्वविद्यालय द्वारा शासनादेशों व आरक्षण नियमों को लेकर आपत्ति जताई गई है। रिक्त पदों पर एक साथ विज्ञापन का आग्रह किया गया है।
------------
एनजीओ चलाने वाले बन गए प्रोफेसर
बांदा : विश्वविद्यालय सूत्रों की माने तो दो ऐसे अभ्यर्थी भी चयनित हुए हैं जो क्षेत्र व जाति विशेष यानी पूर्वांचल के निवासी हैं। यह एनजीओ संचालक हैं और इन पर विशेष कृपा बरसी। कभी विश्वविद्यालय सिस्टम में न रहने के बावजूद प्रोफेसर पद पर नियुक्ति हो गई।
--------
11 नहीं नौ हैं जाति विशेष के अभ्यर्थी
बांदा : विश्वविद्यालय प्रशासन का दावा है कि सभी नियुक्तियां शासनादेश के नियमों के मुताबिक की गई हैं। कुछ पद ऐसे थे जिसमें एक ही अभ्यर्थी आए। जिसकी वजह से उनका चयन किया गया। यही वजह रही कि चयनित 24 लोगों की सूची में नौ एक ही जाति के हैं जबकि प्रचार 11 लोगों के जाति विशेष का होने का किया गया। हालांकि एक क्षेत्र विशेष की ही प्रतिभाएं सामने आने को लेकर अधिकारी कोई जवाब नहीं देते हैं।