बांदा में कोरोना से लड़ाई संग पढ़ाई, नई प्रणाली बेहिचक अपनाई
जागरण संवाददाता बांदा बात देश के भविष्य की है। कोरोना की वजह से शिक्षण संस्थान बंद हो ग
जागरण संवाददाता, बांदा : बात देश के भविष्य की है। कोरोना की वजह से शिक्षण संस्थान बंद हो गए, मगर भारत के सुशिक्षित समाज के संकल्प पर आंच नहीं आने दी। पढ़ाई की नई प्रणाली को अपनाने में हिचक नहीं दिखाई। ऑनलाइन पढ़ाई के रास्ते पर चल पड़े। चुनौतियां कम नहीं थी, मगर सुधार दर सुधार से रास्ता सुगम करते गए और शिक्षा के क्षेत्र की आधुनिक तस्वीर पेश की। यह भविष्य के लिए भी कारगर मानी जा रही है।
बीत रहे वर्ष 2020 में शिक्षा के क्षेत्र में काफी उलट-फेर हुआ। इस बीच हमने कुछ खोया तो बहुत सारा पाया भी। वर्ष के शुरुआती दौर में शिक्षा के मंदिरों में सब कुछ सामान्य चल रहा था। फरवरी माह में अचानक कोरोना महामारी ने दस्तक दी तो शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह पटरी से उतर गई। प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक के द्वार बंद करने पड़े। मार्च माह से हुए लॉकडाउन में अभिभावकों संग छात्र-छात्राएं भी कैद हो गए। इस उम्मीद में कि कुछ दिनों के बाद सब सामान्य हो जाएगा, पर जब दो माह गुजर गए कोरोना का असर कम नहीं हुआ तो शिक्षा के क्षेत्र में नई प्रणाली उभरकर सामने आई। शिक्षा को पिछड़ने से बचाने के लिए वर्चुअल क्लासेज शुरू हुईं। प्राथमिक शिक्षा में सभी छात्र-छात्राओं को मोबाइल से जोड़कर ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हुई तो इंटर कॉलेजों में ऑनलाइन कक्षाएं शुरू की गईं। डीआईओएस विनोद कुमार सिंह ने इस दिशा में कड़ी मेहनत की। सभी कॉलेजों में ऑनलाइन क्लासेज की निगारानी के लिए नोडल अधिकारी नामित किए। कक्षा-9 व 11 में स्वयं प्रभा चैनल-22 (डीटीएच, डिस टीवी, जियो टीवी एप) कक्षाओं का प्रसारण कराया गया। कक्षा दस व 12 में दूरदर्शन में कक्षाएं शुरू की गईं। डीआईओएस कार्यालय में कंट्रोल रूम स्थापित हुआ। राजकीय महाविद्यालयों में भी छात्र-छात्राओं ने चुनौतियों को स्वीकार किया। ऑनलाइन कक्षाओं में पूरा ध्यान दिया और पढ़ाई को पिछड़ने नहीं दिया।
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कोरोना से जंग को मिले नए हथियार
-कोरोना संक्रमण का दौर आया तो सबसे ज्यादा पढ़ाई प्रभावित हुई, लगा आगे क्या होगा। लेकिन इस दौर ने उन्हें पढ़ाई की नई शिक्षा प्रणाली से जोड़ा। ऑनलाइन कोचिग और क्लासेज से तैयारियां की।
-श्रेया बाजपेयी, अतर्रा कक्षा 10
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-कोरोना ने जब पैर पसारे तो उस समय लगा कि बोर्ड परीक्षा में फेल हो जाऊंगा, लेकिन इसी बीच नई राह खुली और ऑनलाइन कक्षा व वर्चुअल क्लासेज से उसने पिछड़ा कोर्स पूरा कर लिया।
-पवन गुप्ता, कक्षा-10
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-तकनीकी पढ़ाई में विद्यालय की हाजिरी जरूरी होती है, लेकिन कोरोना समय में वह स्कूल नहीं जा पाया। जुलाई से आधुनिक शिक्षा प्रणाली ने दस्तक दी तो सब कुछ ठीक हो गया। मोबाइल का सहारा लिया और कोर्स पूरा किया।
-अनिकेत कुमार, आईटीआई छात्र
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-पहले ऑनलाइन पढ़ाई में हिचक हुई, लेकिन समय के साथ जब इसे अपनाया तो सब कुछ बेहतर लगने लगा। इससे कॉलेज की दौड़भाग बची और घर में रहकर कक्षाएं ज्वाइन की। इसी में बेहतर तैयारी हो गई।
-शुभम, आइटीआइ छात्र
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कोरोना ने दिया शिक्षा को नया आयाम
-शिक्षा के क्षेत्र में हाईटेक व्यवस्था जो कोरोना संक्रमण काल में तीन माह में सामने आई, उसे आने में सालों लग जाते। कोरोना में दिक्कतें तो हुईं और हम लोगों ने बहुत कुछ खोया भी, पर उससे ज्यादा हासिल भी हुआ। वर्चुअल क्लासेज और ऑनलाइन कोचिग ने शिक्षा को और मजबूती दी है।
-डॉ.दीपाली गुप्ता, प्राचार्य, राजकीय महिला डिग्री कॉलेज, बांदा
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-कोरोना संक्रमण निश्चित तौर पर महामारी बनकर आई, पर इसमें बहुत कुछ सुधार भी हुआ है। सभी माध्यमिक विद्यालयों में इसी बहाने हाईटेक शिक्षा की व्यवस्था हो गई। उनके यहां भी वर्चुअल क्लासेज में छात्रों ने बहुत कुछ सीखा।
-मेजर मिथलेश कुमार पांडेय, प्रधानाचार्य, आदर्श बजरंग इंटर कॉलेज, बांदा