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सोसायटी के कमीशन से होगी घाटे की रिकवरी

जागरण संवाददाता, बांदा : बिना नीलामी बेंचे गए 1.17 करोड़ रुपये कीमत के गेहूं के मामले में ख

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 11:14 PM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 11:14 PM (IST)
सोसायटी के कमीशन से होगी घाटे की रिकवरी
सोसायटी के कमीशन से होगी घाटे की रिकवरी

जागरण संवाददाता, बांदा : बिना नीलामी बेंचे गए 1.17 करोड़ रुपये कीमत के गेहूं के मामले में खबर छपने के बाद सभी विभागों में हड़कंप की स्थिति है। कोआपरेटिव और समितियों की कर्मचारी व अधिकारी मामले की लीपापोती में लग गए हैं। उधर, पीसीएफ जिला प्रबंधक ने कहा है कि गेहूं में घाटे की भरपाई सोसायटियों के कमीशन से की जाएगी।

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जिले में इस साल गेहूं खरीद के बाद से ही सब कुछ गड़बड़ हो रहा है। विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से करीब 87 हजार मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया। 15 जून के बाद भुगतान के लिए तमाम किसान चक्कर काटते रहे। समितियों ने बिना भुगतान किए ही शासन स्तर पर सूचना शत-प्रतिशत भुगतान की भेज दी। बाद में किसानों की शिकायत पर शासन ने सख्ती दिखाई और अधिकारियों के पेंच कसे। तब जाकर सितंबर में करीब आधा सैकड़ों किसानों का भुगतान किया गया। अब भुगतान के बाद केंद्रों में रखे गेहूं को लेकर बवाल शुरू हुआ है। पीसीएफ व सहकारी समितियों की 40 सोसाइटियों ने करीब 28 हजार मीट्रिक टन गेहूं खरीदा। इसमें करीब सात हजार मीट्रिक टन गेहूं एफसीआई नहीं भेजा गया। अब पीसीएफ व सहकारी समितियां ने आपसी साठगांठ कर इसे बिना नीलामी 1.17 करोड़ का गेहूं मनमाने दामों में बेंच लिया। दैनिक जागरण ने इस खबर को प्रथम पेज पर प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया। इस खबर को लेकर प्रशासन व विभागीय अधिकारियों में हड़कंप मच गया। सभी अधिकारी अब अपनी-अपनी बचत का रास्ता खोज रहे हैं। उधर, पीसीएफ के जिला प्रबंधक हरीओम शुक्ला ने कहा है कि गेहूं की बिक्री चाहे जैसे हो, वसूली सोसायटियों के कमीशन से होगी। उन्होंने इस बाबत मातहतों को निर्देश भी दिए हैं। उधर, एआर कोआपरेटिव वीरेंद्र बाबू दीक्षित ने इस बाबत कुछ बताने से इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि गेहूं का जो भी रेट मिल जाए ठीक है। अन्यथा वह वैसे भी खराब हो रहा है।

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निलंबित हुए थे केंद्र प्रभारी

गेहूं खरीदने के बाद एफसीआई को डिलीवर्ड करने के मामले में लापरवाही पर केंद्र प्रभारी को निलंबित किया गया था। हालांकि निलंबन अवधि में वह सेवानिवृत्त भी हो गए। उधर, मुरवल केंद्र प्रभारी द्वारा भी बिल आदि न बनाने से गेहूं डिलीवर्ड नहीं हो सका था। लेकिन उन्हें मोहलत दे दी गई।

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-केंद्रों में रखा गेहूं खराब होगा या कम रेट में बेंचा जाएगा। इससे पीसीएफ को फर्क नहीं पड़ता। पीसीएफ ने जितनी धनराशि गेहूं खरीद के लिए सोसायटी को दिया था। उसकी भरपाई कमीशन की धनराशि से की जाएगी।-प्रवीण ¨सह, क्षेत्रीय प्रबंधक, पीसीएफ


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