पाक से रामबहादुर को मिली रिहाई, वाहन के रोड़े से ड्योढ़ी न मिल पाई
संवाद सहयोगी अतर्रा (बांदा) इसे वक्त की मार कहें या गरीबी की इंतहा। करीब 12 साल पहले घर
संवाद सहयोगी, अतर्रा (बांदा) : इसे वक्त की मार कहें या गरीबी की इंतहा। करीब 12 साल पहले घर से लापता हुए राम बहादुर पाकिस्तान की जेल में पहुंच गए। अब जब वहां से रिहाई पाकर वह अमृतसर आ गए तो उन्हें फिर से घर की ड्योढ़ी सिर्फ इसलिए नहीं मिल पाई है कि एक अदद वाहन का इंतजाम 72 घंटे में नहीं हो सका है। डीएम ने उन्हें लाने के लिए बाकायदा टीम गठित की है। रामबहादुर के भाई मैकू प्रतिदिन सुबह कपड़े पहनकर भाई को लेने जाने के लिए तैयार होते हैं और शाम तक वाहन की व्यवस्था को लेकर लगातार अनदेखी से उन्हें निराशा हाथ लगती है। इससे रामबहादुर का घर पहुंचने को लेकर इंतजार बढ़ता ही जा रहा है।
ग्राम पचोखर निवासी रामबहादुर फरवरी 2009 में घर से नरैनी बाजार के लिए निकले थे, लेकिन उसके बाद लापता हो गए थे। जनवरी 2021 में उनके पाकिस्तान की लाहौर जेल में बंद होने की सूचना स्वजन को लोकल इंटेलीजेंस यूनिट (एलआइयू) के माध्यम से मिली थी। 30 अगस्त को पाकिस्तान की जेल से रिहा होने पर अटारी बार्डर होते हुए वह अमृतसर पहुंचे थे, जहां उन्हें रेडक्रास सोसाइटी अस्पताल में रखा गया है। अमृतसर के डिप्टी कलेक्टर ने डीएम बांदा आनंद कुमार सिंह को रामबहादुर के वहां पहुंचने की सूचना दी थी। इसके बाद डीएम ने उन्हें लाने के लिए तीन सितंबर को नायब तहसीलदार बबेरू अभिनव तिवारी, एसआइ अतर्रा थाना सुधीर चौरसिया व छोटे भाई मैकू की टीम गठित की। टीम गठित हुए 72 घंटे बीत चुके हैं, लेकिन वाहन नहीं मिलने के कारण रवाना नहीं हो सकी है। वहीं, नायब तहसीलदार ने बताया, वाहन का इंतजाम न होने से अमृतसर जाने में देरी हो रही है। रामबहादुर के घर की आर्थिक रूप से हालत इतनी खराब है कि बुजुर्ग मां-बाप वाहन का खर्च वहन नहीं कर सकते। घर के बाहर सुबह से राह निहारने लगते बुजुर्ग माता-पिता
रामबहादुर के बूढ़े पिता गिल्ला और मां कुसमा बेटे के आने की राह प्रतिदिन सुबह से ही घर के बाहर बैठकर देखने लगते हैं। छोटे भाई मैकू ने बताया कि टीम के साथ शनिवार सुबह अमृतसर जाने की जानकारी पुलिस ने दी थी। वह रोज तैयार होकर इंतजार में बैठा रहता है। संभव है टीम के अफसर किसी काम में फंस गए हों। वाहन नहीं मिलने की कोई बात नहीं हैं। टीम सोमवार को हर हाल में रवाना हो जाएगी।
आनंद कुमार सिंह, बांदा।