दुर्गा महोत्सव की तैयारी, प्रतिमाएं तराशने में जुटे कारीगार
जागरण संवाददाता बांदा शारदीय नवरात्र महोत्सव पर प्रतिमाएं गढ़ने का कार्य शुरू हो गया है।
जागरण संवाददाता, बांदा : शारदीय नवरात्र महोत्सव पर प्रतिमाएं गढ़ने का कार्य शुरू हो गया है। शहर के कई स्थानों पर कलाकार मूर्तियां तराश रहे हैं। उनके यहां प्रतिमाओं को लेकर बुकिग भी आ रही हैं,लेकिन मूर्तियां स्थापित न होने पर बयाना लौटाने की शर्त भी है। ऐसे में कारीगर मायूस हैं और उनमें इस नवरात्र महोत्सव को लेकर खास उम्मीदें भी हैं।
जनपद में दुर्गा महोत्सव को लेकर युवाओं में खासा उत्साह है। लेकिन कोरोना संक्रमण और प्रशासन की चुप्पी उन्हें परेशान किए है। वहीं इस बार कोलकाता और चेन्नई से कारीगर नहीं आएं। स्थानीय कलाकार मूर्तियों को गढ़ रहे हैं। स्वराज कालोनी गली नंबर तीन, गायत्री नगर, छोटी बाजार, बबेरू रोड, अमर टाकीज तिराहा में मूर्ति कला केंद्र संचालित हो रहे हैं। इनमें कारीगर देवी के विभिन्न स्वरूपों की मूर्तियां तो गढ़ रहे हैं। लेकिन उनके मन में इस बार महोत्सव को लेकर अनिश्चितता भी है। प्रशासन व शासन से दुर्गा महोत्सव को लेकर कोई गाइड लाइन न जारी होने से उनकी सांसे थमी हैं। हर केंद्र में 50 से 60 मूर्तियां बनकर लगभग तैयार हो गई हैं। पंडाल संचालक देवी प्रतिमाएं बुक तो करा रहे हैं, लेकिन साथ में शर्त भी रख रहे हैं। उनका कहना है कि यदि प्रशासन मूर्ति रखने की अनुमति नहीं देता है तो अग्रिम भुगतान वापस करना होगा। कारीगार भी शर्त से परेशान तो हैं, लेकिन उनकी मजबूरी भी है। 17 सितंबर से नवरात्र महोत्सव शुरू हो रहा है। इसको लेकर भले ही गाइड लाइन न आई हो, पर संचालक व कारीगार पूरे मनोयोग से तैयारियों में जुटे हैं।
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क्या कहते हैं कारीगार :
-उनके यहां 50 मूर्तियां बनकर तैयार हो गई हैं। एक मूर्ति की लागत करीब पांच हजार पड़ रही है, लेकिन यदि प्रशासन ने अनुमति नहीं दो उनका बड़ा नुकसान हो जोगा।
-रामजी शर्मा
-संचालकों की तरफ से बुकिग की जा रही है, पर शर्त भी रख रहे हैं कि मूर्तियां स्थापित नहीं हुईं तो बयाना वापस करना होगा। मजबूरी में वह बयान ले रहे हैं। पूंजी भी लगा रहे हैं और शर्त भी मान रहे हैं।
-श्याम जी
-पिछले वर्ष 50 मूर्तियां बनाई थीं। इस वर्ष 70 मूर्तियां तैयार की हैं। इनमें पांच फीट की अधिकांश देवी प्रतिमाएं हैं। कुछ 12 फीट की भी हैं। यदि ये नहीं बिकीं तो वह कर्ज में डूब जाएंगे।
-गंगा चरन
-प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए मिट्टी की मूर्तियां बना रहे हैं। यह सोंच कर मूर्तियां तैयार कर रहे हैं कि न बिकेंगी तो अगले साल को रख लेंगे। माहौल को देखते हुए साधारण मूर्तियां बनाई हैं।
-नवाब सिंह