पूर्ण बहुमत न मिलने से राजनीति दलों में ऊहापोह
संवाद सहयोगी अतर्रा जिले की सबसे बड़ी पंचायत में दिग्गजों के हार जाने से राजनीतिक दलों के स
संवाद सहयोगी अतर्रा : जिले की सबसे बड़ी पंचायत में दिग्गजों के हार जाने से राजनीतिक दलों के समीकरण गड़बड़ाते हुए नजर आ रहे हैं। किसी भी दल को पूर्ण बहुमत न मिलने के चलते अध्यक्ष पद की दावेदारी में सभी राजनीतिक दलों में उहापोह की स्थित हैं। पंचायत की बागडोर में निर्दलीय ही अहम भूमिका में दिख रहे हैं।
देश व प्रदेश में काबिज भाजपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष सीट पर वर्चस्व कायम करने के लिए जनपद की सभी तीस सीटों पर पार्टी समर्थित उम्मीदवारों को चुनावी समर में उतारा था। साथ ही जिला पंचायत अध्यक्ष पद की सीट पिछड़ा वर्ग में आरक्षित होने के चलते इस वर्ग के कई दिग्गजों को भी चुनाव मैदान में उतारा था। जिसमें वार्ड नंबर-20 महुआ द्वितीय से पूर्व विधायक चंद्रभान आजाद के पुत्र प्रद्युम्न नरेश आजाद भी सदस्य पद का चुनाव लड़ रहे थे। जो स्वयं नरैनी विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी भी रह चुके हैं। ऐसे ही विधानसभा बबेरू से भाजपा प्रत्याशी रह चुके अजय पटेल को भी वार्ड नंबर चार बबेरू प्रथम से भाजपा ने उम्मीदवार बनाया था। पार्टी कार्यकर्ता कयास लगा रहे थे कि इनकी छवि व पैठ को देख इन्हें ही अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाया जाएगा, लेकिन न तो भाजपा को बहुमत मिला और न ही कोई बड़ा दिग्गज सदस्य पद का चुनाव ही जीत सका। सबसे बड़े दल के रूप में उभरी बसपा अध्यक्ष पद को हासिल करने की दावेदार दिख रही है।
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निर्दलीय के बगैर नहीं बन सकता कोई दल सरताज
जिला पंचायत की तीस सीटों में ऐसा परिणाम आया है कि चाहे सबसे ज्यादा सदस्य जीतने वाली पार्टी बसपा हो या सत्तापक्ष भाजपा हो,कोई भी निर्दलीय प्रत्याशी को अपने पाले में लिए बिना अध्यक्षी की कुर्सी तक पहुंचता नही दिख रहा है।जहां बसपा को 11 सीट जीतने के बाद भी पांच निर्दलीय की जरूरत है,तो वहीं भाजपा के 07 व अपना दल के 04 मिलने के बाद भी पांच निर्दलीय के बिना अध्यक्षी की कुर्सी हासिल नही हो सकती है।