नीर नेटवर्क के अहम किरदार हैं पोखर व तलैया
बिहारी दीक्षित अतर्रा बुंदेलखंड में जल संरक्षण के संसाधनों का एक बड़ा नेटवर्क है। जिसमें
बिहारी दीक्षित, अतर्रा : बुंदेलखंड में जल संरक्षण के संसाधनों का एक बड़ा नेटवर्क है। जिसमें तालाब व कुओं के अलावा पोखर व तलैयों का अहम स्थान है। लेकिन बदलते समय के साथ छोटे तालाबनुमा पोखर व तलैया अब मिटते जा रहे हैं। जबकि जल संरक्षण के लिए इन्हें बचाना जरूरी हो गया है। उधर प्रशासन इनके संरक्षण के लिए पंचायत चुनाव बाद अभियान चलाकर इनका सीमांकन कराएगा।
जल संरक्षण के अनेकों प्राकृतिक संसाधन हैं। वर्तमान में खेतों में खोदे जा रहे तालाब जल संरक्षण की दिशा में बेहद कारगर माने जा रहे हैं। प्राचीन समय की बात करें तो पोखर व तलैया इन्हीं खेत तालाबों की तरह ही हुआ करते थे। ये दोनों तालाब की तरह हैं लेकिन इन्हें छोटे तालाबों की श्रेणी में रखा गया है। गांव में अगर कई बड़े तालाब हैं तो उनके साथ अलग-अलग दिशा में तलैया व पोखर जरूर हुआ करते थे। इन सबमें बारिश का पानी संरक्षित होता है लेकिन बदलते समय के साथ ये दोनों जल के प्राकृतिक संसाधन विलुप्त होते जा रहे हैं। अतर्रा तहसील क्षेत्र में सरकारी आंकड़ों की बात करें तो विभिन्न गांवों में 17 गढ़ही (तलैया) जिनका क्षेत्रफल 2.37 हेक्टेअर व 24 पोखर क्षेत्रफल 0.914 हेक्टेअर आंकड़ों में दर्ज है। पानी की महत्ता को समझते हुए प्रशासन जल्द ही इनके संरक्षण की मुहिम चलाएगा ताकि जल संरक्षण के इन दोनों संसाधनों को बचाया जा सके।
-तहसील क्षेत्र के सभी पोखर व गढि़हा का सीमांकन पंचायत चुनाव बाद लेखपालों द्वारा कराया जाएगा। सीमांकन के बाद उनके संरक्षण की जिम्मेदारी प्रधानों को सौंपी जाएगी। -सौरभ शुक्ला, एसडीएम अतर्रा