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एक चंमच गाय का धी व दो चुटकी कालीमिर्च बढ़ाती है प्रतिरोधक क्षमता

जागरण संवाददाता चित्रकूट कोरोना की संभावित लहर का डर बढ़ने लगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र म

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Jul 2021 11:33 PM (IST)Updated: Thu, 29 Jul 2021 11:33 PM (IST)
एक चंमच गाय का धी व दो चुटकी कालीमिर्च बढ़ाती है प्रतिरोधक क्षमता
एक चंमच गाय का धी व दो चुटकी कालीमिर्च बढ़ाती है प्रतिरोधक क्षमता

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : कोरोना की संभावित लहर का डर बढ़ने लगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आगाह किया कि दुनिया पर कोरोना की संभावित लहर का खतरा गहराया है, यूरोप, अमेरिका और एशिया के कई देशों में कोरोना के बढ़ा है।भारतीय चिकित्सा परिषद् उप्र के पूर्व उपाध्यक्ष एवं आयुष ग्राम ट्रस्ट चित्रकूट के संस्थापक डा मदनगोपाल वाजपेयी ने कहा कि एक चम्मच गोघृत और दो चुटकी कालीमिर्च चूर्ण का सेवन भी भोजन के पूर्व करने से इस ऋतु में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ायेगा और बीमारी से बचाव करेगा।

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डा वाजपेयी ने कहा कि भारत में ऐसी तमाम महामारियों के दौर का लंबा और पुराना इतिहास रहा है पर प्राचीन भारत ने अपने समृद्ध आयुर्वेद के बलबूते पर इन महामारियों का केवल मुकाबला ही नहीं किया बल्कि इसके मूल कारण को खोजकर मानव को इन महामारियों से उबारा भी है। भारतीय आयुर्विज्ञान की संहिताएं इसका प्रमाण आज भी लिए हैं। भारतीय चिकित्सा विज्ञान आयुर्वेद बीमारी के तीन मूलभूत कारण मानता है इंद्रियों के विषयों का गलत उपयोग, बुद्धि, विवेक, प्रज्ञा में दोष का आ जाना जिससे व्यक्ति पालनीय और अपालनीय तथ्यों को समझ नहीं पाता है। तीसरा काल विपर्यय यानी ऋतुओं का सही ढंग से उपस्थित न होना तो उधर व्यक्ति में ऋतु को मद्देनजर रखते हुए जीवनशैली का न जीना।

डा वाजपेयी ने कहा कि भारत में जब दूसरी लहर का दौर आया उस समय भी बसंत ऋतु का संधिकाल, बसंत ऋतु का विपर्यय काल था, परिणामतरू कफ दोष का असंतुलन हुआ, जिससे इधर व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता, अग्निबल की कमजोरी तो उधर वायु का दूषित होना सामने आया था। उस समय भी आयुर्वेद की रसौषधियों और आशुचिकित्सा प्रणाली ने अपनी करामात दिखाई थी, अब जब, संभावित लहर की बात हो रही है उस समय भी वर्षा ऋतु और उसका संधिकाल है।


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