दीपावली से पहले चरम पर पहुंचा अवैध पटाखे का कारोबार
जागरण संवाददाता, बांदा : दीपावली पर्व आते ही जिले में अवैध पटाखे बनाने का काम शुरू हो गया
जागरण संवाददाता, बांदा : दीपावली पर्व आते ही जिले में अवैध पटाखे बनाने का काम शुरू हो गया है। इससे हादसे का खतरा मंडरा रहा है। नियमत: दिवाली से तीन पहले बारूद भंडारण की अनुमति के बावजूद चोरी-छिपे बड़े पैमाने पर आतिशबाजी तैयार करने का सिलसिला जारी है। माना जा रहा है कि इस बार आतिशबाजी के रूप में औसतन 20 क्विंटल बारूद की बिक्री होगी।
दीपावली पर आतिशबाजी की बिक्री होने के चलते अवैध पटाखा कारोबारी सक्रिय हो गए हैं। जिला प्रशासन की ओर से पटाखा निर्माण के लिए न तो कोई लाइसेंस दिया गया है और न ही अनुमति के बावजूद गांवों में चोरी छिपे आतिशबाजी बनाने का काम जोरों पर चल रहा है। इसके बावजूद पुलिस व प्रशासन स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
अस्थायी लाइसेंस लेने की होड़
दीपावली से तीन दिन पहले पटाखा कारोबारियों को अस्थायी लाइसेंस निर्गत किए जाते हैं। इसे लेने के लिए व्यवसाइयों में होड़ दिखाई दे रही है। पिछले वर्ष प्रशासन ने जीआईसी ग्राउंड में दुकानें लगवाई थीं। इस बार अभी स्थान नियत नहीं है।
हो चुके हैं हादसे
चोरी छिपे पटाखा निर्माण के दौरान अब तक कई हादसे हो चुके हैं। कुछ वर्ष पहले मर्दननाका मोहल्ले में पटाखा निर्माण के दौरान दो सगी बहनों की मौत हो गई थी, जबकि गिरवां क्षेत्र में एक बच्चे की जान चली गई थी।
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ये हैं नियम
-पटाखा की दुकान तथा भंडारण की व्यवस्था भीड़भाड़ वाले इलाके से बाहर हो।
-हर दुकान में दो-दोअग्निशमन यंत्र, टंकी में पानी और बालू रखना जरूरी
-अत्यधिक आवाज करने वाले पटाखे या खतरनाक पटाखे नहीं रखे जाएं
-पटाखा बेचने वाले दुकानदार को स्थायी या अस्थायी लाइसेंस लेना जरूरी यहां से आते हैं पटाखे
शहर समेत ग्रामीण इलाकों में पटाखा बिक्री के लिए सबसे ज्यादा कानपुर से आते हैं। इसके साथ ही कुछ व्यवसायी झांसी, ग्वालियर आदि स्थानों पर निर्मित पटाखों की बिक्री करते हैं। शहर के मनोहरीगंज में पटाखा बिक्री करने वाले दुकानदार फैय्याज खान ने बताया कि पटाखों की बिक्री के दौरान कड़ी सतर्कता बरती जाती है। दीपावली पर पटाखा बनाने वालों पर कड़ी नजर रखी जाएगी। जल्द ही छापामारी अभियान शुरू किया जाएगा। शर्तें पूरी करने वाले को ही पटाखा बेंचने की अनुमति दी जाएगी।
-संतोष बहादुर ¨सह, एडीएम, बांदा