आजीविका की महिलाओं के पोषाहार से दूर होगा कुपोषण
जागरण संवाददाता बांदा कुपोषण से जंग लड़ने के लिए अब आंगनवाड़ी केंद्रों को और मजबूत ि
जागरण संवाददाता, बांदा : कुपोषण से जंग लड़ने के लिए अब आंगनवाड़ी केंद्रों को और मजबूत किया जाएगा। नई व्यवस्था के तहत अब सभी केंद्रों पर मिलने वाले भोजन को आजीविका मिशन की महिलाओं से तैयार कराया जाएगा। इसके लिए हर ब्लाक में एक यूनिट तैयार की जाएगी। जिससे सभी केंद्रों पर भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। जिले में भी इसकी तैयारी कर ली गई है। भोजन तैयार करने के लिए एनआरएलएम की 15-15 महिलाओं का चयन किया गया है।
जनपद में करीब 1705 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं। इनमें छह वर्ष तक के करीब सवा दो लाख बच्चे और 46 हजार किशोरियां पंजीकृत हैं। इनमें 40 हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषित हैं। शासन से हर माह इनके लिए करीब डेढ़ सौ मीट्रिक टन पोषाहार भेजा जाता है। कमीशनबाजी के चलते इसकी गुणवत्ता को लेकर अक्सर सवाल खड़े होते हैं। अरुचिकर होने से बच्चे व किशोरी इसे खाने से परहेज करते हैं। इससे कुपोषण घटने का नाम नहीं ले रहा है। अब यह शिकायत जल्द दूर होगी। समूह की महिलाएं खुद पोषाहार तैयार करेंगी और आंगनबाड़ी केंद्रों को आपूर्ति करेंगी। इसके लिए जिला कार्यक्रम विभाग और एनआरएलएम में अनुबंध हो चुका है। जनपद के सभी आठ ब्लाकों में पोषाहार तैयार करने को एक-एक यूनिट की स्थापना की जा रही है। यूनिट का संचालन राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाएं करेंगी। एक यूनिट में समूह की 15-15 महिलाओं का चयन किया जा चुका है। अब इन्हें पोषाहार तैयार करने के लिए विभाग की ओर से प्रशिक्षित किया जा रहा है।
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यहां स्थापित होंगी यूनिट
महुआ ब्लाक में हस्तम गांव और बड़ोखर खुर्द ब्लाक में शहर के अतर्रा चुंगी तथा बिसंडा, तिदवारी, नरैनी, जसपुरा ब्लाक में ब्लाक परिसर में ही यूनिट के लिए जमीन का चयन किया गया है। यूनिट की लागत करीब तीन लाख रुपये लागत आएगी। इसमें समूह की महिलाएं अपनी बचत से 15-15 हजार रुपये लगाएंगी। शेष धनराशि आजीविका निधि से दी जाएगी।
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प्रति महिला 240 रुपये होगी आय
यूनिट में कार्य करने वाली प्रति महिला को 30 रुपये प्रति घंटे के हिसाब से मेहनताना मिलेगा। इस तरह वह आठ घंटे काम करेंगी तो हर रोज करीब 240 रुपये मिलेंगे। इससे उनकी अच्छी होगी।
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क्या कहते हैं अधिकारी :
-शासन की मंशा महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार उपलब्ध कराने की है। इसी के तहत महिलाएं अब पोषाहार यूनिट स्थापित कर रही हैं। महिलाओं व भूमि के चयन की प्रक्रिया पूरी हो गई। यूनिट के लिए मशीनें मंगाई जा रही हैं।
-कृष्ण करुणाकर पांडेय, उपायुक्त, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन