पानी नहीं यहां बहती दूध की धारा
जागरण संवाददाता बांदा बेहतर बारिश न होने से बुंदेलखंड भले ही सूखे लिए जाना जाता हो। ब
जागरण संवाददाता, बांदा : बेहतर बारिश न होने से बुंदेलखंड भले ही सूखे लिए जाना जाता हो। बेहतर उपज ने होने से क्षेत्र को पिछड़ा होने का दर्जा मिला हो। लेकिन यही बुंदेलखंड दुग्ध उत्पादन में अग्रणी भी है। श्वेतधारा से समृद्ध हुआ दुग्ध उत्पादन पिछले चार साल में करीब तीन गुना बढ़ गया। वहीं दुग्ध उत्पादन समितियों की संख्या भी 18 से बढ़कर 67 पहुंच गई है।
बुंदेलखंड का अनाज हो या दूध दोनों ही लाजवाब है। हालाकि यहां का दुग्ध उत्पादन पिछले कुछ सालों में गिरने लगा था मगर सरकार की सहायता से इसने फिर से एक मुकाम पाना शुरू किया। आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2017-18 में जिले में दुग्ध उत्पादन समितियों की संख्या 18 थीं। इनसे दूध का उत्पादन 268 लीटर प्रतिदिन होता था। जो अब बढकर 895 लीटर रोजाना हो गया है। विभाग का कहना है कि सरकारी प्रोत्साहन मिलने से समितियों की संख्या बढ़ी है। साथ ही कृषकों की भागीदारी में बढ़ोतरी हुई तो श्वेतधारा समद्ध हो गई।
बुंदेलखंड पैकेज से हा रहा निर्माण
शहर के नरैनी में दुग्ध अवशीतन केंद्र परिसर में आधुनिक मल्टी प्रोडक्ट ग्रीन फील्ड दुग्धशाला का निर्माण बुंदेलखंड पैकेज से कराया जा रहा है। इस कार्य के लिए शासन ने 103.16 करोड़ की धनराशि दे दी है। इसके निर्माण से चित्रकूटधाम मंडल के ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों, दुग्ध उत्पादकों को रोजगार मिलेगा। शहरी क्षेत्र के उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता के साथ उचित दाम पर दूध व उससे बने उत्पाद मिलेंगे।
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दुग्ध विकास कार्यक्रम गांव स्तर पर स्थापित दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के माध्यम से क्रियान्वित किए जाते हैं। अच्छी गुणवत्ता का दूध उत्पादन हो इसके लिए सदस्यों को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाता है।
-शारदा प्रसाद, दुग्ध निरीक्षक चार वर्षों की प्रगति
वर्ष समितियां प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन
2017-18 18 268 लीटर 2018-19 23 428 लीटर
2019-20 58 886 लीटर 2020-21 67 895 लीटर