बबुआ महिनन से परे हइन, यहन कौनो सुनवाई निहाय
जागरण संवाददाता बांदा बबुआ महीनन से परे हइन यहन कौनो सुनवाई निहाय। ट्राली मा लदे धान क
जागरण संवाददाता, बांदा : बबुआ महीनन से परे हइन, यहन कौनो सुनवाई निहाय। ट्राली मा लदे धान का गोरु खात हैं और हम जाडन में मरत हइन। हमरे आंखिन के सामने आढ़तियन का धान तौउलो जात है और हम कुछ नहीं कर पावत हइन। यह दर्द मंडी परिषद में पडे तमाम किसानों का है। धान न बिकने से किसान मायूस हो रहा है। अधिकारी निरीक्षण में जाते हैं, लेकिन उनकी परेशानी नहीं दिखती।
जनपद में धान खरीद की प्रक्रिया इस बार जटिल हो गई है। शासन के निर्देश पर आनलाइन टोकन दिए जा रहे हैं। एक खरीद केंद्र में एक दिन के लिए करीब 600 क्विंटल धान के लिए टोकन जारी हो रहे हैं। जबकि केंद्र में एक दिन में 250 क्विंटल से ज्यादा की तौल नहीं होती। ऐसे में 12 किसानों को टोकन मिलता और चार से पांच किसानों के धान की तौल होती है। छह किसानों का कूपन निरस्त हो जाता है। उधर, वेबसाइट न चलने पर बमुश्किल कूपन बन पाता है। ऐसे में किसान अपने धान की जानवरों व चोरों से रखवाली करते हैं और जन सेवा केंद्र में आनलाइन टोकन के लिए चक्कर लगाते हैं। साथ ही खेती में खडी फसल बचाने की भी चुनौती है। इसके अलावा किसी के घर में बेटी की शादी है तो किसी के घर भाई और बेटे का ब्याह है। किसी के घर में गंभीर बीमारी है और उसके लिए पैसा चाहिए। धान न बिकने से किसान 20-20 दिन से सेंटरों में पड़े हैं। जागरण टीम ने मंगलवार को मंडी परिषद में किसानों व केंद्र प्रभारी से बातचीत की तो अपनी व्यथा बताई।
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बोले केंद्र प्रभारी-
-शासन के निर्देश पर जो टोकन व्यवस्था लागू हुई, उससे परेशानी बढी है। 12 टोकन जारी हो रहे हैं। चार या पांच किसानों का धान एक दिन में तौला जाता है। ऐसे में करीब सात किसानों का टोकन निरस्त हो जाता है। उनको फजीहत झेलनी पड़ती है।
-पवन विश्वकर्मा, केंद्र प्रभारी, एफसीआइ
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-मंडी में 18 दिन से धान लिए पडे़ हैं। तीन बार टोकन मिला और निरस्त हुआ, पर नंबर नहीं आया। यहां सर्दी में हालत खराब हो रही है। कोई सुनने वाला नहीं है।-
-किसान राजकुमार सिंह, फतपुरवा
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-किसानों के सामने ही आढ़तियों और राइस मिलर्स आते हैं और अपना धान तौलाकर चले जाते हैं। उनके धान का नंबर ही नहीं आ रहा है। 20 दिन हो गए यहां पड़े और अब मायूसी हो रही है।
-किसान सुभाष पटेल, जमुनी पुरवा
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-घर में 24 जनवरी को बिटिया की शादी है। सोचा था धान बिक जाएगा तो सामान खरीद लेंगे। करीब 14 दिन हो गए अभी तक नंबर नहीं आया।
-किसान रामप्रताप पटेल, फतपुरवा
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-टोकन तीन बार बनवाया और तीनों बार निरस्त हो गया। नंबर ही नहीं आया। 25 दिन हो गए यहां सर्दी में रात गुजारते। अब तो लगता है आढतियों को धान बेचे दें बस घर जाएं।
-किसान बल्लू, गुरेह
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-गेहूं की बुवाई और सिचाई को 36 हजार कर्ज यह कहकर लिया था कि 15 दिन में चुका देंगे। 20 दिन से धान नहीं बिक रहा। ऐसे में कर्ज वाले देहरी खोद रहे हैं।
किसान जसवंत सिंह, फतपुरवा
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-केंद्रों में जितने भी किसानों के कूपन कटेंगे, उनका सभी का धान खरीदा जाएगा। कोई भी किसान नहीं लौटेगा। भले ही केंद्र प्रभारी को रात तक तौल करनी पड़े। यदि ऐसा नहीं करता तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
-उमाकांत त्रिपाठी, अपर जिलाधिकारी, बांदा
----------------- रैन बसेरा में ताला, पेड़ों के नीचे गुजर रही रात
अपनी उपज लेकर आने वाले किसानों के लिए मंडी परिषद में रात्रि विश्रम को विश्रामालय बना हुआ है। लेकिन इसका कभी ताला नहीं खुलता है। मंडी सचिव का कहना है कि किसान यहां रुकते ही नहीं हैं। केंद्रों में जाकर कर्मचारी ठहरने के लिए उनसे पूछते हैं, पर वह अपनी धान की रखवाली के कारण यहां नहीं ठहरते। वहीं किसानों का कहना है कि विश्राम कक्ष में रजाई व कपडों की कोई व्यवस्था नहीं हैं। ताला ही नहीं खोला जाता है। इसके अलावा अलाव के भी कोई इंतजाम नहीं हैं। घर से लकडी व पयार जलाने के लिए लाना पड़ता है।
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फोटो संख्या-9
मैं आढती नहीं, किसान हूं
बांदा : मंडी परिषद में संचालित एफसीआइ केंद्र में बडोखर बुजुर्ग गांव निवासी जागेश्वर का धान एक ट्राली से उतारकर तौला जा रहा था। दूसरी ट्राली बगल में लगी थी। मौके पर मौजूद किसानों का कहना था कि ये आढती हैं और सस्ते में धान खरीदकर यहां केंद्र प्रभारी को कमीशन देकर तुरंत धान की तौल करा लेते हैं। जब आढ़तिया जागेश्वर से पूछा तो बताया कि वह आढती नहीं, बल्कि किसान हैं।