सालिड वेस्ट मैनेजमेंट में फेल हुई नगर पालिका
जागरण संवाददाता, बांदा : सालिड वेस्ट मैनेजमेंट में मंडल मुख्यालय की नगर पालिका फेल है। उसक
जागरण संवाददाता, बांदा : सालिड वेस्ट मैनेजमेंट में मंडल मुख्यालय की नगर पालिका फेल है। उसके पास न तो कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था है और नही कोई योजना। करीब 80 टन कचरा रोजाना सड़कों के किनारे फेंक दिया जाता है या फिर नदी में। उधर, मेडिकल कचरा निस्तारण को झांसी की संस्था को काम दिया गया है। लेकिन सिर्फ सरकारी अस्पतालों का ही कचरा उठाती है। निजी अस्पतालों का कचरा पालिका के हवाले है।
शहर को साफ-सुथरा रखने का दावा करने वाली नगर पालिका कूड़ा निस्तारण व्यवस्था में बैकफुट पर है। शहर के 31 वार्ड हैं और करीब पौने दो लाख की आबादी है। इन सभी वार्डो से कचरा उठवाने के लिए पालिका ने छोटी-बड़ी करीब दस गाड़ियां लगा रखी हैं। सुबह शहर की सफाई कर कर्मचारी चौराहों-तिराहों पर कचरा इकट्ठा कर देते हैं। दोपहर में 12 बजे तक इसे उठाया जाता है। पदमाकर चौराहे में जीजीआईसी स्कूल के गेट बगल कचरा केंद्र बना है। इससे छात्राओं को रुमाल लगाकर निकलना पड़ता है। शहर का सारा कचरा वाहनों से ले जाकर नवाब टैंक के निकट झांसी-इलाहाबाद नेशनल हाईवे किनारे डंप किया जा रहा है। इधर, आधे शहर का कचरा भूरागढ़ के निकट केन नदी में फेंका जा रहा है। करीब पांच सौ टन कचरा पीएम मोदी के नमामि गंगे को आइना दिखा रहा है। वहीं आबादी के निकट झील का पुरवा व नवाब टैंक में कचरा पड़ने से लोगों का सांस लेना दूभर है। पालिका ने छह माह पहले शासन को कूड़ा निस्तारण संबंधी प्रस्ताव भेजा था। लेकिन आज तक इसका कोई जवाब आया और न ही कोई एजेंसी नामित हुई। उधर, शहर में करीब 40 छोटे-बड़े निजी क्लीनिक हैं। इनके यहां निकलने वाला मेडिकल कचरा सड़कों पर फेंका जा रहा है। झांसी की नामित एजेंसी सिर्फ सरकारी अस्पताल से कचरा उठवाती है। इसके एवज में सरकार एजेंसी को हर माह मोटी रकम देती है। वर्तमान में पालिका का यह सिस्टम भी पूरी तरह फ्लाप है। -कूड़ा निस्तारण की मौजूदा में कई व्यवस्था नहीं हैं। नदी में कूड़ा डालने की जानकारी नहीं है। यदि ऐसा है तो कार्रवाई की जाएगी।
-संतोष कुमार मिश्रा, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका