दुग्ध अपने आप में एक संपूर्ण आहार : कुलपति
इस अवसर पर सह.निदेशक प्रसार सह.निदेशक शोध अधिष्ठाता कृषि अधिष्ठाता उद्यान सह.अधिष्ठाता वानिकी सह.अधिष्ठाता गृह विज्ञान तथा विश्वविद्यालय के सभी वैज्ञानिकगण उपस्थित रहे।
जागरण संवाददाता, बांदा : विश्व दुग्ध दिवस के अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र, बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में दुग्ध उत्पादन विषय पर वैज्ञानिक संवाद एवं ऑनलाइन कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. यूएस गौतम ने की।
कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए केंद्र के अध्यक्ष डॉ. श्याम सिंह ने बताया कि विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन द्वारा विश्व दुग्ध दिवस की शुरुआत वर्ष 2000 में इसी दिन हुई थी। दूध के महत्व को समझाते हुए इसको विश्वस्तरीय भोज्य पदार्थ के रूप में स्थापित करना है। इस वर्ष के विश्व दुग्ध दिवस का मुख्य विषय डेयरी व्यवसाय को स्थिरता प्रदान करने के साथ-साथ पर्यावरण व समाज के पोषण व सामाजिक, आर्थिक व्यवस्था को सु²ढ़ करना है। कार्यक्रम के अध्यक्ष कुलपति ने बताया कि दूध अपने आप में ही एक सम्पूर्ण आहार है। हम सभी को इसे अपने दैनिक आहार में सम्मिलित करना चाहिए। उन्होंने स्वच्छ दुग्ध उत्पादन पर जोर देते हुए सभी पशु पालकों से पशुओं एवं स्वयं की स्वच्छता का ध्यान रखने की सलाह दी। दूध की महत्ता को समझाते हुए पशुपालन द्वारा कृषकों की आय बढ़ाने के साथ-साथ परिवार की कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिये यह आवश्यक है। किसान भाई कृषि के साथ-साथ पशु पालन को भी वैज्ञानिक तरीके से अपनाए। इस अवसर पर केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. सुभाषचंद्र सिंह ने अधिक दूध उत्पादन प्राप्त करने के लिये वर्ष भर हरे चारे की उपलब्धता एवं महत्व पर प्रकाश डाला। इसके लिये उन्होंने चारे की बहुवर्षीय फसलें नागफनी एवं नेपियर ग्रास व सुबबूल आदि घासों के बारे में जानकारी दी। केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. मानवेंद्र सिंह ने पशुपालकों को पशुओं में नस्ल सुधार, रोगों से बचाव हेतु टीकाकरण, उत्पादन हेतु बेहतर प्रबंधन पर जानकारी दी।