प्रोफेसरों के स्थानांतरण से मेडिकल कालेज की पीजी कक्षाएं प्रभावित
प्रोफेसरों के स्थानांतरण से मेडिकल
प्रोफेसरों के स्थानांतरण से मेडिकल कालेज की पीजी कक्षाएं प्रभावित
जागरण संवाददाता, बांदा : डाक्टरों के तबादला एक्सप्रेस में रानी दुर्गावती मेडिकल कालेज के सात प्रोफेसर भी शामिल हैं। एनएमसी के नियमों को ताक में रखकर स्थानांतरण होने से कालेज के दो विषयों की पीजी कक्षाएं प्रभावित हो गई हैं। एमडी छात्रों की पढ़ाई में गाइड करने की बड़ी समस्या है। इससे अब छात्रों की डिग्री तक खटाई में पड़ सकती है।
मेडिकल कालेज को इस बार पहली मर्तबा चार विषयों में कम्यिुनिटी मेडिसिन, एनाटामी, फिजियोलाजी व फारेंसिक मेडिसिन की पीजी कक्षाएं संचालित करने की स्वीकृति मिली है। कम्यिुनिटी मेडिसिन में चार सींटे व फिजियोलाजी में एक सीट की पढ़ाई संचालित हो रही है। अप्रैल माह से प्रवेश भी शुरू हो गए थे। इसी के साथ पीजी कक्षाएं भी शुरू हो गई हैं। इसमें एनएमसी नेशनल मेडिकल काउंसिल की यह शर्त होती है कि जिस विषय की पीजी कराई जाएगी। उसमें प्रोफेसर की तैनाती होना अनिवार्य होता है। इन्हीं के गाइड करने के नाम से ही प्रवेश व छात्रों की सैनापसिस विषय शारांस जमा होती है। जिसमें उसी प्रोफेसर की देखरेख में तीन वर्षों की पीजी क्लास छात्रों की पूरी होती है। लेकिन मेडिकल कालेज के सात प्रोफेसर डा. अनिल शर्मा निशचेतक विभाग व, डा. संतोष वर्मा कम्यिुनिटी मेडसिन को कानपुर, प्रोफेसर डा. मो. अतहर कन्नौज, असिस्टेंट प्रोफेसर डा. अभय पांडे फिजिशियन गोरखपुर, डा. विभूदीप एनाटामी व डा. पवन बायोकमेस्ट्री आगरा, डा. शरदचंद्र को प्रयागराज स्थानांतरित किया गया है। जिससे अब कम्यिुनिटी मेडसिन की चार सीटें व फिजियोलाजी की एक सीट की पढ़ाई प्रभावित हो गई है। इनके प्रोफेसरों के स्थानांतरण से पांच सीटों की देखरेख गाइड अब जहां नहीं हो पाएगी। वहीं अब छात्रों की एमडी डाक्टर आफ मेडिसिन डिग्री मिलने का खतरा भी मंडरा रहा है। पीजी छात्रों का भविष्य अंधकार मय है। जिसकी सूचना कालेज प्रशासन की ओर से एनएमसी व शासन को भेजी गई है। जिससे छात्रों के भविष्य के बारे में कोई उचित निष्कर्ष निकाला जा सके।
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- डाक्टरों के स्थानांतरण में मेडिकल कालेज की प्रक्रिया अलग अपनायी जानी चाहिए। एनएमसी के नियमों के हिसाब से स्थानांतरण होने चाहिए। जिससे छात्रों का नुकसान न हो।