बांदा के विश्राम कक्ष में ताला, खुले में कट रही किसानों की रात
जागरण संवाददाता बांदा मंडी में अपनी उपज लेकर आने वाले किसानों से मंडी शुल्क तो लिया जाता
जागरण संवाददाता, बांदा : मंडी में अपनी उपज लेकर आने वाले किसानों से मंडी शुल्क तो लिया जाता है लेकिन सुविधाओं के नाम पर उन्हें सिर्फ धोखा ही मिलता है। ऐसा ही कुछ इन दिनों शहर की मंडी में देखने को मिला रहा है। जहां पिछले दिनों हुई छिटपुट बारिश से मौसम ने अपने तेवर तल्ख कर दिए हैं तो वहीं इसी मंडी में धान खरीद केंद्र पर आने वाले किसानों को रात ठिठुर कर बितानी पड़ रही है। सुविधाओं के नाम पर उन्हें एक अदद कमरा भी नहीं मिलता। जहां कम से कम वह अपनी रात गुजार सके। कहने को मंडी में विश्राम कक्ष है लेकिन दरवाजे पर लगा ताला किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं देता। मजबूरी में किसानों को सर्द रात खुले में ठिठुरकर बितानी पड़ रही है। हालाकि कुछ किसान अपनी बचत को देखते हुए घर से ही रजाई और गद्दा लेकर आते हैं।
जिले में धान खरीद के लिए 43 केंद्र विभिन्न एजेंसियों ने खोल रखे हैं। शासन ने धान खरीद शुरू होने से पहले मंडी सचिवों को किसानों के लिए सभी सुविधाएं मुहैया कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन सचिवों ने इस आदेश को दर किनार कर दिया। मंडल मुख्यालय की मंडी समिति में दो धान खरीद केंद्र संचालित हो रहे हैं। विपणन शाखा व एफसीआइ के दोनों केंद्रों में बमुश्किल दिन भर में दो किसानों का धान तौला जा रहा है। ऐसे में दूर-दराज से आए किसान अपनी उपज लेकर मंडी में तौल की बारी के इंतजार में पड़े हैं। उन्हें कई-कई रातें खुले में गुजारनी पड़ रही हैं। ट्रैक्टर-ट्रालियों में लदे धान की रखवाली के लिए उन्हें रात में तक्का बनना पड़ रहा है। घर से गद्दा-रजाई व कंबल लेकर आ रहे हैं।
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कई माह से नहीं खुला विश्राम ग्रह का ताला
मंडी में बने विश्राम गृह में पंद्रह लोगों के ठहरने की व्यवस्था है। नियमों के अनुसार गद्दा, कंबल, बाल्टी सहित सारी सुविधाएं मौजूद हैं। लेकिन हकीकत में इस विश्राम गृह का ताला कई माह से नहीं खुला। कक्ष में सिर्फ तखत पड़े हैं। इसके अलावा यहां पानी का भी कोई इंतजाम नहीं है। बाहर लगा हैंडपंप खराब पड़ा है।
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क्या कहते हैं किसान :
-खरीद केंद्र में दो दिनों से धान लिए पड़े हैं। उनका नंबर नहीं आया। धान की रखवाली में रात में खुले में रातें बितानी पड़ रही हैं। घर से कंबल व दरी लेकर आए हैं। विश्राम कक्ष का ताला नहीं खुल रहा है।
-श्रीराम, बिहरका (हमीरपुर)
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-मंडी समिति में बना विश्राम कक्ष खुलता ही नहीं है। वह धान लेकर तीन दिन से पड़े हैं। यहां के कर्मचारी कहते हैं कि घर से व्यवस्था करो। गद्दा व रजाई लेकर घर से आए हैं और यहीं पेड़ के नीचे रात गुजार रहे हैं।
-लाली तिवारी, पचनेही
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क्या कहती हैं सचिव
-मंडी समिति में विश्राम कक्ष खुला है। वहां ताला बंद रहता है, ताकि सामान चोरी न हो। किसान यदि यहां ठहरने की इच्छा जाहिर करते हैं तो उन्हें सुविधा जरूर दी जाएगी।
-विभा खरे, मंडी सचिव, बांदा