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इलाज में बाधक बन सकती है सीटी स्कैन मशीन व स्टाफ की कमी

जागरण संवाददाता बांदा कोरोना की संभावित लहर को लेकर भले ही जिले में वेंटिलेटर व बेडा

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Aug 2021 05:43 PM (IST)Updated: Sun, 01 Aug 2021 05:43 PM (IST)
इलाज में बाधक बन सकती है सीटी स्कैन मशीन व स्टाफ की कमी
इलाज में बाधक बन सकती है सीटी स्कैन मशीन व स्टाफ की कमी

जागरण संवाददाता, बांदा : कोरोना की संभावित लहर को लेकर भले ही जिले में वेंटिलेटर व बेडों की संख्या बढ़ाई जा रही हो, लेकिन बांदा मेडिकल कालेज में सीटी स्कैन व स्टाफ कमी इसमें बाधा बन सकती है। संक्रमण की बारीकी से जांच की लिए सीटी स्कैन की बहुत जरूरत पड़ती है। वहीं प्रोफेसरों की कमी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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कोरोना के संभावित लहर को लेकर स्वास्थ्य विभाग अपनी तैयारियों में लगा है। जिला अस्पताल में दूसरी लहर के समय जहां करीब 80 कोरोना मरीजों के लिए बेड थे। वहीं अब उन्हें बढ़ाकर 200 कर दिया गया है। जिसमें 15 आइसीयू व पांच हाईडिपेंडेंसी बेड हैं। वेंटिलेटर भी 12 से बढ़कर 28 हो गए हैं। इसी तरह मेडिकल कालेज में पहले जहां 200 बेड थे। उसे अब 400 सौ बेड कर दिया है। 30 आइसीयू व 50 एचडीयू बेड शामिल हैं। 70 वेंटिलेटर से बढ़कर 109 हो चुके हैं। नरैनी व जसपुरा सीएचसी में 50-50 बेडों की संक्रमितों के लिए अलग व्यवस्था की जा रही है। जिनमें दो-दो बेड आइसीयू के शामिल हैं। दवाएं व बाईपेप मंगवाने के लिए अलग से नया आर्डर दिया गया है। इन सब व्यवस्थाओं के बीच स्वास्थ्य विभाग की ओर से तैयारियों में अभी चूक की जा रही है। कोविड अस्पताल राजकीय मेडिकल कालेज में छह माह पहले करीब एक करोड़ की लागत से सिटी स्कैन मशीन लगवाने की संस्तुति मिली थी। लेकिन अभी तक बजट के अभाव में टेंडर ही प्राइवेट पार्टनर शिप में नहीं हो पाया है। जबकि माइक्रो बैक्टीरिया की जांच करने के लिए सीटी स्कैन कराने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में मरीजों का कैसे उपचार होगा, अपने आप में सवाल खड़े कर रहा है। इसी तरह प्रशिक्षित 12 प्रोफेसरों के गैर जनपदों के लिए स्थानांतरण भी उपचार व्यवस्था में अवरोध प्रकट करेगा। जिसमें मेडसिन विभाग के दो प्रोफेसरों के स्थानांतरण की कमी विशेष खल रही है। जबकि दूसरी लहर की अपेक्षा इस बार नए करीब 85 प्रशिक्षु चिकित्सक बढ़े हैं। लेकिन अनुभवी स्टाफ कम हुआ है। ----------------------------------------------

- सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। दवाओं व आक्सीजन की कोई कमी नहीं रहेगी। नया स्टाफ मिलने पर व्यवस्था पहले की तरह हो जाएगी। सिटी स्कैन मशीन लगवाने के लिए रिमांइडर भेजा गया है। - डा. मुकेश यादव राजकीय मेडिकल कालेज प्राचार्य --------------------------------------

- पीकू वार्ड बनकर तैयार हो चुका है। नीकू वार्ड भी उपलब्ध हैं। वेंटिलेंटर व बेड़ो की संख्या बढाई गई है।

- वीके तिवारी सीएमओ

--------------------------------------------------- पीकू वार्ड तो बने पर नीकू में कंजूसी

- कोरोना संक्रमण की संभावित लहर को लेकर अस्पतालों में पीकू वार्ड पिडियाट्रिक इंटेसिव केयर यूनिट तैयार कराए गए हैं। इसमें मेडिकल कालेज में 110 बेड का पीकू बनाया गया है। जिसमें 50 आइसोलेशन, 30 एचडीयू व 20 आइसीयू बेड हैं। दस बेड ट्राइएज के लिए सुरक्षित किए गए हैं। एक्जामिनेशन एनईडी लाइट, रेडिएंट वार्मर आदि संसाधनों की और व्यवस्था की गई है।कोरोना की दूसरी लहर में इनवार्डों का जनपद में अभाव था। बच्चों से संबंधित उपकरण भी नहीं थे। तैयारी अधूरी होने से बच्चों को भी बड़े संक्रमितों के साथ भर्ती करना पड़ रहा था। इसी तरह जिला अस्पताल में 100 बेड पीकू के बनाए जा रहे हैं। जिला अस्पताल में पहले से बने 15 बेड के नीकू वार्ड में ही संक्रमित बच्चों का उपचार करने की तैयारी है। लेकिन अलग से नीकू वार्ड बनवाने में कंजूसी की जा रही है। पुराने न्यू नेटल इंटेसिव केयर यूनिट में संक्रमितों को भर्ती करने से अन्य गैर संक्रमित बच्चों के उपचार में दिक्कत होगी। उपचार में व्यवस्था बिगड़ी नजर आएगी।इससे अलग वार्ड बनाया जाना चाहिए।


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