Move to Jagran APP

बांदा के 53 हजार प्रवासी श्रमिकों की वापसी, 167 को ही मिला काम

जागरण संवाददाता बांदा कोरोना संक्रमण के दौरान लॉकडाउन में कारखाने व फैक्ट्रियां बंद

By JagranEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 11:14 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 11:14 PM (IST)
बांदा के 53 हजार प्रवासी श्रमिकों की वापसी, 167 को ही मिला काम
बांदा के 53 हजार प्रवासी श्रमिकों की वापसी, 167 को ही मिला काम

जागरण संवाददाता, बांदा : कोरोना संक्रमण के दौरान लॉकडाउन में कारखाने व फैक्ट्रियां बंद हुईं तो बड़ी संख्या में युवा बेरोजगार हो गए। महानगरों को छोड़कर जनपद में 53303 श्रमिकों ने वापसी की। काम बंदी के दौरान इनमें करीब 18 हजार प्रवासी श्रमिकों को मनरेगा में रोजगार मिला। मनरेगा में मजदूरों को साल में सिर्फ 100 दिन ही रोजगार दिए जाने का प्रावधान है। ऐसे तीन माह के बाद सभी मजदूर बेरोजगार हो गए। रोजी रोटी न चलने से श्रमिकों को फिर महानगरों में वापसी करनी पड़ी। कोई उद्योग व कारखाना न होने से यहां सिर्फ 167 मजदूरों को ही स्थायी रोजगार मिला है। पिछले दो माह से महानगरों को जाने के लिए प्रवासी श्रमिकों में होड़ सी लगी है। प्राइवेट लक्जरी बसें इन्हें सीधे सूरत, दिल्ली, जयपुर, नागपुर पहुंचा रही हैं। वहां महानगरों में संचालित फैक्ट्रियों व कारखानों में ये प्रवासी कोई सिक्योरिटी गार्ड तो कोई ऑपरेटर का कार्य फिर से शुरू किए हैं।

loksabha election banner

-----------

क्या कहते हैं प्रवासी श्रमिक :

-लॉकडाउन के बाद काम छिना तो घर आ गए थे। मनरेगा में तीन माह यदा-कदा का मिला। अब वह भी नहीं मिल रहा है। अब फिर से दिल्ली जा रहे हैं। वहां सिक्योरिडी गार्ड का काम करेंगे।

-शिवमंगल, हजारी पुरवा (नरैनी)

----------

-लॉकडाउन के पहले सिकंदराबाद (नागपुर) में फर्नीचर का काम करते थे। वहां 15-16 हजार हर माह मिल जाता था। कोरोना में काम छिना तो घर आ गए थे। यहां रोजगार मिलने से फिर वहीं जा रहे हैं।

-नितीश यादव, मियां बरौली (बबेरू)

----------

-नागपुर में एक कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड का काम करते रहे हैं। अप्रैल में वहां से किसी तरह पहुंचे थे। अब सारा खर्च खत्म हो गया है। कोई काम नहीं मिल रहा है। इसलिए फिर वहीं जाना मजबूरी है।

-पुष्पेंद्र, ओरन

-जयपुर में एक कंपनी में जेसीबी चलाता रहा हूं। मार्च में काम कम बंद हो गया तो घर आ गया था। अब तीन माह यहां रहा, मनरेगा में काम नहीं मिल रहा है। इसलिए जयपुर फिर से जाना पड़ रहा है।

-नंदू सेन, मझगवां

---------

क्या कहते हैं अधिकारी :

-मनरेगा में एक श्रमिक को साल में 100 दिन काम दिए जाने का प्रावधान है। इसके अलावा उन्हें यहां दो सौ रुपये मिल रहे हैं। महानगर में वह 500 कमा रहे हैं। इसलिए श्रमिक वापस जा रहे हैं। 53 हजार प्रवासियों में ज्यादातर लौट चुके हैं।

-हरिश्चंद्र वर्मा, सीडीओ, बांदा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.