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औषधीय मशरूम से किसानों को होगी अच्छी आय

कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में संचालित कृषि विज्ञान केंद्र में प्रवासी कामगारों को रोजगार से जोड़ने के लिए उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसी के तहत किसानों को मशरूम उत्पादन के तौर-तरीके बताए गए। केबीके ने मशरूम उत्पादन की एक इकाई विकसित की है। इसमें छात्रों को प्रायोगिक ज्ञान के साथ-साथ मशरूम के क्षेत्र

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 10:19 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jul 2020 06:07 AM (IST)
औषधीय मशरूम से किसानों को होगी अच्छी आय
औषधीय मशरूम से किसानों को होगी अच्छी आय

जागरण संवाददाता, बांदा : कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में संचालित कृषि विज्ञान केंद्र में प्रवासी कामगारों को रोजगार से जोड़ने के लिए उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसी के तहत किसानों को मशरूम उत्पादन के तौर-तरीके बताए गए। केबीके ने मशरूम उत्पादन की एक इकाई विकसित की है। इसमें छात्रों को प्रायोगिक ज्ञान के साथ-साथ मशरूम के क्षेत्र में रोजगार पाने को प्रशिक्षित किया जा रहा है।

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कृृषि विश्वविद्यालय, बांदा के मशरूम इकाई प्रभारी सहायक प्राध्यापक डॉ. दुर्गा प्रसाद ने बताया कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढाने का तात्पर्य शरीर में एंटीबाडीज की मात्रा बढ़ायी जाये। एंटीबाडीज मुख्यत: एमिनो एसिड्स से बनी होती हैं और एमिनो एसिड्स एक तरह से प्रोटीन का ही छोटा रूप होता है। मशरूम में लगभग 22.35 प्रतिशत उच्च कोटि की प्रोटीन पायी जाती है। मशरूम की प्रोटीन सुपाच्य होती है जो लगभग 60.70 प्रतिशत तक होती है तथा पौधों से प्राप्त प्रोटीन से कही अधिक होती है। यह शाकभाजी व जंतु प्रोटीन के मध्यस्थ का गुणवत्ता रखती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का यह मानना है कि कैंसर, मधुमेह, हृदय संबंधी रोग इत्यादि बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति उसे कोरोना विषाणु जल्दी प्रभावित करता है। असाध्य रोगों के निवारण में सहायक सिद्ध हो रही है। विश्व बाजार में औषधीय मशरूम के रूप में इसकी अत्यधिक मांग है। यह विश्व का सबसे मंहगा मशरूम है। इस मशरूम की कीमत 5 लाख से 8 लाख प्रति किलो है। कुलपति डॉ. यूएस गौतम के नेतृत्व में बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा में स्थापित मशरूम इकाई के प्रभारी डॉ. दुर्गा प्रसाद ने विद्यार्थियों को मशरूम के क्षेत्र में उद्यमिता और इसकी गुणवत्ता सहित समस्त आयामों पर प्रशिक्षण दिया। कहा कि बुंदेलखंड के बेरोजगार युवाओं, महिलाओं, किसानों व उत्पादकों को विश्वविद्यालय में स्थापित मशरूम इकाई के जरिए क्रमवद्ध ढंग से मशरूम के महत्व व इसकी गुणवत्ता की जानकारी, स्पान उत्पादन तकनीक, मशरूम उत्पादन एवं परिक्षण तकनीक और विपणन के क्षेत्र में वैज्ञानिक ढंग से प्रशिक्षित करके उन्हें इस क्षेत्र मे उद्यमी बनाकर व स्वरोजगार देने का प्रयास जारी है।


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