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बांदा के शजर पत्थर के उत्पादों के निर्यात की राह होगी आसान

जागरण संवाददाता बांदा जिले के केन नदी मिलने वाले शजर पत्थर को उद्योग को एक जिला एक उत्पा

By JagranEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 11:42 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 11:42 PM (IST)
बांदा के शजर पत्थर के उत्पादों के निर्यात की राह होगी आसान
बांदा के शजर पत्थर के उत्पादों के निर्यात की राह होगी आसान

जागरण संवाददाता, बांदा : जिले के केन नदी मिलने वाले शजर पत्थर को उद्योग को एक जिला एक उत्पाद योजना में शामिल किया गया है। अब इस पत्थर से बने उत्पादों को देश व विदेश में निर्यात को आसान बनाने की कोशिश चल रही है। गुरुवार को निर्यात समिति की बैठक में डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड कानपुर से ज्वाइंट डायरेक्टर जनरल अमित कुमार ने जूम एप के जरिए व्यापारियों से रुबरू हुए।

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कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित बैठक के दौरान जूम एप के जरिए उन्होंने ओडीओपी उत्पाद शजर पत्थर के निर्यात की संभावनाओं पर चर्चा की। शजर हस्तशिल्पियों ने डीजीएफटी के अधिकारियों से भी वार्ता की। उनकी समस्याओं तथा शंकाओं के समाधान के लिए उन्हें सुझाव दिए। उपायुक्त उद्योग मोहम्मद जहीरुद्दीन ने उद्यमितयों को बताया कि निर्यात करने के लिए भारत सरकार की ओर से लाइसेंस के स्थान पर प्रमाण पत्र की व्यवस्था की गई है। उन्होंने डीएम को आश्वस्त किया कि निर्यात के संबंध में उद्यमियों की हर संभव मदद की जाएगी। बैठक में फॉरेन ट्रेड कानपुर के असिस्टेंट डायरेक्टर जनरल हिमांशु भी जूम एप के जरिए शजर शिल्पकारों से रुबरू हुए। उन्हें कई सुझाव दिए। इस मौके पर डीएम आनंद कुमार सिंह सहित उद्योग विभाग के अधिकारी व व्यापारी मौजूद रहे।

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बैंकों की लापरवाही पर डीएम ने दिए कार्रवाई के निर्देश

बांदा: कलेक्ट्रेट सभागार में शुक्रवार को उद्योग बंधु की बैठक में डीएम आनंद कुमार सिंह ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, मुख्यमंत्री युवा स्वोरजागर योजना तथा एक जिला एक उत्पाद मार्जिन मनी योजना के प्रगति की समीक्षा की। खराब प्रगति पर कड़ी नाराजगी जाहिर की। अग्रणी जिला प्रबंधक राजीव आनंद को निर्देश दिए कि इसकी नियमित निगरानी करें। एक सप्ताह में लक्ष्य पूरा कराएं। उपायुक्त उद्योग जहीरुद्दीन ने बताया कि स्टेट बैंक, बैंक आफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, इलाहाबाद बैंक, आर्यावर्त बैंक की लापरवाही से योजनाओं की प्रगति बेहद खराब है। बिना किसी ठोस कारण के बेरोजगारों की पत्रावलियां लौटा दी जाती हैं या निरस्त कर दी जाती हैं। डीएम ने बैंकों के जिला समन्वयकों व शाखा प्रबंधकों को निर्देशित किया कि उदासीनता के लिए उच्चाधिकारियों को अवगत कराएं और कार्रवाई करें।


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