शुरू हो गई खुदरा व्यापार को पटरी पर लाने की कवायद
लॉकडाउन-4 के बाद अनहीं आ सका है। लॉकडाउन में
संवाद सहयोगी, अतर्रा :
लॉकडाउन-4 के बाद अनलॉक-1 शुरू हो गया है, लेकिन खुदरा व्यापारियों की दुश्वारियां अभी भी कम नहीं हो रही हैं। कोरोना काल के पहले प्रतिदिन खुलने वाली दुकानों का समय निर्धारण होने के कारण ग्राहकों की आवाजाही कम हो गई है। इससे अर्थव्यवस्था का पहिया अभी तक रफ्तार में नहीं आ सका है। लॉकडाउन में कामगारों के बाद सबसे बड़ी मार फुटकर व्यापारियों पर पड़ी है। ग्राहकों को दुकान खोलने का प्रशासनिक रोस्टर पता नहीं है। ऐसे में उनकी भीड़ नहीं नदारत है। लॉकडाउन के तीन चरणों तक उनकी दुकानें बिल्कुल बंद रही है,चौथे चरण के लगने पर उन्हें कुछ सहूलियतें तो मिली,पर पाबंदियों का झमेला इतना ज्यादा रहा कि न तो व्यापारी को राहत रही और न ही ग्राहक को राहत मिली। खुदरा दुकानों के खुलने का समय पाबंद के साथ ही दिनों का ऐसा निर्धारण किया गया कि जैसे ही बाजार का समय होता था कि दुकान बंद करने की बारी आ जाती है। इतना ही नहीं ग्रामीण परिवेश के ग्राहकों को दुकानों के खुलने के दिनों की जानकारी न होने से परेशान होना पड़ता है।
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संक्रमण के डर के बीच व्यापार :
बीते महीने में जनपद में अचानक बढ़े कोरोना मरीजों की संख्या ने व्यापारियों व ग्राहकों के दिलों में खौफ बना दिया है। सरकार ने तो दुकानों को खोलने की अनुमति दे दी है,लेकिन कोरोना संक्रमण के फैलने के भय से दुकानों में दुकानदार व ग्राहकों के खौफजदा होने से अभी भी खुदरा व्यापार पटरी पर नहीं है। खुदरा व्यापारियों का कहना है कि व्यापार को संभलने में अभी समय लगेगा।
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क्या कहते हैं खुदरा व्यवसायी :
नियमित दुकानें न खुलने के कारण ग्राहक बाजार आने से परहेज करता है। एक तरफ मॉल ट्रांसपोर्ट के महंगा होने से सामान की कीमत बढ़ गई है तो वहीं दुकान आया ग्राहक बढ़े दाम नहीं दे रहा है।
अमित गुप्ता, खुदरा किराना व्यापारी
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अन्य व्यापार तो थोड़ा बहुत चल रहे है, लेकिन कपड़ा व्यापार तो पूरी तरह ठप्प हो गया है। शादी व धार्मिक कार्य बंद होने से कपड़ा दुकानों की ओर कोई निहारता तक नहीं है। सरकार को खुदरा व्यापार को पटरी में करने के लिए मदद करनी चाहिए।
मनीष अग्रवाल, खुदरा कपड़ा व्यापारी।