ग्रीष्म कालीन गहरी जुताई से कृषकों को खेती में कई लाभ : कुलपति
जागरण संवाददाता बांदा बुंदेलखंड में अधिक तापमान कृषि के लिये वरदान भी है। अधिक तापमान से
जागरण संवाददाता, बांदा : बुंदेलखंड में अधिक तापमान कृषि के लिये वरदान भी है। अधिक तापमान से खेत के खरपतवार व हानिकारक जीवों का नाश होता है। इसके लिये किसानों को अपने खेत की गहरी जुताई करनी पड़ेगी।
कृषक मई-जून के महीने में मिट्टी पलटने वाले हल (एमबी प्लाऊ) से खेतों की ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई कर हैं तो किसानों को इसके अनेक लाभ प्राप्त होंगे। इस प्रकार की जुताई से मृदा का सूर्य की किरणों से सीधा उपचार होता है। इस जुताई से हानिकारक कीट व पौध रोगकारक नष्ट हो जाते हैं। मिट्टी की जल धारण क्षमता में वृद्धि होती है जिससे कि जड़ो की अच्छी वृद्धि होती है। इस कार्य से पीणकनाशियों के अवशेषो का तीव्र विघटन होता है। इसके साथ-साथ मृदा भी संरक्षित होती है। ग्रीष्मकालीन जुताई के बाद खेती की लागत में कमी आती है। साथ ही उपज में लाभ औसतन 10 प्रतिशत तक बढ जाती है। इस पद्धति को अपनाने से बुंदेलखंड ही नहीं बल्कि सभी कृषकों की आय में वृद्धि होगी। बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. यूएस गौतम ने कृषकों से इस कार्य को खेती में अवश्य करने की अपील की है। सह प्राध्यापक के पद पर तैनात कीट वैज्ञानिक डॉ. बीके सिंह का कहना है कि इस ग्रीष्मकालीन जुताई से किसानों को बहुत सारे लाभ मिलेंगे। ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई रबी मौसम की फसल कटने के बाद शुरू हो जाती है, जो बरसात प्रारंभ होने तक चलती रहती है। गहरी जोताई का मृदा के भौतिक गुणों पर प्रभाव पड़ता है। इससे हानिकारक कीटों से बचाव तथा खरपतवार नियंत्रित होता है, साथ ही मृदा में वायु संचार में बढ़ोत्तरी होती है। जल धारण में वृद्धि के अलावा पौधों के जड़ विकास में तथा मृदा संरक्षण में सहायक होता है। किसान तिल फसल का चुनाव करके वैज्ञानिक ढंग से खेती करते हैं तो उन्हें अधिक मुनाफा प्राप्त होगा। तिल की वैज्ञानिक खेती के लिए कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से संपर्क कर सकते हैं।