शहर की तीसरी आंख को हुआ मोतियाबिंद
जागरण संवाददाता बांदा शहर में अगर कोई बड़ी वारदात हो जाती है तो जांच में सबसे पहली नजर
जागरण संवाददाता, बांदा: शहर में अगर कोई बड़ी वारदात हो जाती है तो जांच में सबसे पहली नजर सीसीटीवी कैमरे पर पड़ती है। जिसके फुटेज से अपराधियों का सुराग लगाने की कोशिश की जाती है। बावजूद इसके पुलिस विभाग ने अपने ही लगवाए गए सीसीटीवी के रखरखाव पर ध्यान नहीं रखा। इससे शहर की तीसरी आंख को मोतियाबिंद हो गया है। समय रहते अगर इसका इलाज नहीं किया गया तो पुलिस को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
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पांच लाख से अधिक कैमरों पर किए गए थे खर्च
शहर के अलीगंज, बलखंडी नाका, शहर कोतवाली, अशोक लाट, कचेहरी चौराहा आदि स्थानों पर 11 से अधिक की संख्या में सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ाने के लिए पांच लाख से अधिक खर्च कर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। जिनकी मानीटरिग थानों व चौकियों से निगरानी की जाती है।
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ये मिल रहा था लाभ
शहर में लगे कैमरे से कोई भी घटना होने पर इन कैमरों की मदद से कई खुलासे हो रहे थे। वही युवतियों से छेड़छाड़ की घटना पर भी लगाम लगने लगी थी। चौराहों पर लगे कैमरों के भय से कोई भी अनैतिक कार्य करने से डरना पड़ता था।
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ये कैमरे हो गए खराब
कचेहरी रोड, अशोक लाट, महाराणा प्रताप चौराहा, बाबूलाल चौराहा आदि स्थानों पर लगे कैमरे या तो खराब हो चुके हैं या किसी अव्यवस्था के चलते काम नहीं कर रहे हैं।
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शहर में लगे सीसीटीवी कैमरों की उपयोगिता अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन कैमरों के जरिए ही शहर की गतिविधियों को पर नजर रखी जाती है। जल्द ही इनमे सुधार किया जाएगा। बंद पड़े कैमरों को ठीक कराया जाएगा। -महेंद्र सिंह चौहान, अपर एसपी, बांदा