बुंदेली तकनीक, फसलों व स्थलों को दिलाएंगे पहचान
जागरण संवाददाता बांदा बुंदेलखंड की विशिष्ट जलवायु में लघु एवं सीमांत किसानों की आय में ब
जागरण संवाददाता, बांदा: बुंदेलखंड की विशिष्ट जलवायु में लघु एवं सीमांत किसानों की आय में बढ़ोत्तरी तभी संभव हैं, जब उन्नत प्रजाति के गुणवत्तायुक्त बीजों एवं संसाधन संरक्षण तकनीकी का प्रयोग किया जाये। कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में किसानों को संबोधित करते हुए कुलपति ने यह बात कही। उन्होंने बुंदेली तकनीकी, फसलों व स्थलों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने पर जोर दिया।
कृषि विश्वविद्यालय के बहुउद्देशीय सभागार में कानपुर के भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान के सहयोग से भारत सरकार की अनुसूचित उपयोजना के अंतर्गत कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिले पांच विकास खंडों के आठ गांवों से चयनित 125 लाभार्थी कृषकों को संबोधित करते हुये कुलपति प्रो. नरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि बुंदेलखंड क्षेत्र में संभावनाओं की कमी नहीं है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थानों के सहयोग से विश्वविद्यालय क्षेत्रानुकूल तकनीकों के व्यापक प्रचार के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होने बुंदेलखंड की कृषि उपजों एवं अन्य पारम्परिक एवं ऐतिहासिक फसलों, तकनीकों एवं स्थलों को राष्ट्रीय पहचान एवं मान्यता दिलाये जाने पर कार्य करने पर जोर दिया तथा विश्वविद्यालय में एक राष्ट्रीय बौद्धिक विमर्श आयोजित कर बुंदेलखंड क्षेत्र के लिये आदर्श परियोजना विकसित करने की बात कही।
कार्यक्रम को निदेशक प्रसार डा.एन के बाजपेयी
निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र, डा. मुकुल कुमार,सह निदेशक प्रसार, डा.नरेन्द्र सिंह ने अधिष्ठाता डा. सत्यव्रत द्विवेदी ने किसानों को जानकारियों से अवगत कराया।
संचालन कृषि विज्ञान केन्द्र के अध्यक्ष डा. श्याम सिंह ने किया।