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विभागीय जमीन में 12 जगह अतिक्रमण, पांच मामले चिह्नित

जागरण संवाददाता बांदा दिल्ली में रेल पटरियों के किनारे बसी बस्तियों की तर्ज पर यहां के स्

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Sep 2020 10:47 PM (IST)Updated: Thu, 10 Sep 2020 10:47 PM (IST)
विभागीय जमीन में 12 जगह अतिक्रमण, पांच मामले चिह्नित
विभागीय जमीन में 12 जगह अतिक्रमण, पांच मामले चिह्नित

जागरण संवाददाता, बांदा : दिल्ली में रेल पटरियों के किनारे बसी बस्तियों की तर्ज पर यहां के स्थानीय रेलवे की जमीन में भी अतिक्रमण है। जनपद में विभाग की जमीनों में 12 जगह अतिक्रमण है। संपत्ति की देखरेख में संबंधित विभागीय कर्मचारियों की ओर से लापरवाही की जाती है।

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जनपद में रेलवे की जमीनों में करीब वर्ष 2012 से अवैध कब्जे हैं। विभाग की खाली पड़ी जमीनों में लोगों ने धीरे-धीरे कर कब्जे कर लिए। जब तक विभाग को इसकी जानकारी हुई तब तक कुछ जगहों पर तो पक्के भवन व बाउंड्री भी बनकर तैयार हो गई। बाद में संबंधित इंजीनियरिग वर्क साइड विभाग (आईडब्लू) ने जमीन खाली कराने का प्रयास किया। यह हैं मामले :

विभागीय लिखापढ़ी में मामला आने पर चिन्हित किए गए पांच मामले वर्ष 2014 में पुनीत कुमार बनाम भारत सरकार, वर्ष 2015 में अशोक कुमार, वर्ष 2016 में रियाजत हुसैन, अमन मोहन व 2018 में आर्यकन्या इंटर कॉलेज के मामले न्यायालय में चले गए। जिनमें अभी तक कोई उचित निर्णय सामने नही आया है। इसके अलावा रेलवे स्टेशन के नजदीक, पुल के नजदीक आदि जगहों पर सात ऐसे मामले हैं। जिसमें झुग्गी-झोपड़ी व दुकान रखकर अवैध कब्जे हैं। इनको अभी अधिकारियों ने चिन्हित भी नहीं किया है। आरपीएफ भी ऐसे मामलों में अपनी ओर से कोई रुचि नहीं दिखाती है। - विभागीय जमीनों में अतिक्रमण की जानकारी होने पर प्रभावी कार्रवाई की जाती है। उनके कार्यकाल में अभी तक 10 से 12 अतिक्रमण हटवाए गए हैं। आवश्यकता पड़ने पर आरपीएफ की मदद ली जाती है।

- शिव सिंह अभियंता आई डब्लू रेलवे ऐसे होता है विभाग की जमीन में कब्जा :

शुरू में अवैध कब्जा करने वाले पहले रेलवे की जमीन में टीन-टप्पर लगाते हैं। इस दौरान यदि किसी रेलवे अधिकारी व कर्मचारी ने कभी मना भी किया तो कुछ दिनों के लिए व्यवस्था की है कहकर बच जाते हैं। इसके बाद धीरे-धीरे इन्हीं जमीनों में आगे बढ़ाकर पक्का निर्माण हो जाता है। बाद में मामला न्यायालय में पहुंच जाता है।


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