कालिंजर, संवाद सूत्र : एतिहासिक कालिंजर दुर्ग पर कार्तिक पूर्णिमा के तीन दिवसीय मेला गुरुवार से शुरू हो गया। पहले दिन श्रद्धालुओं के रेला से कालिंजर दुर्ग गुलजार हो गया। एक दिन पहले पहुंचे श्रद्धालुओं ने भोर में बुड्ढा-बुड्ढी, कोटितीर्थ, रामकटोरा तलाबों में डुबकी लगाई। इसके बाद भगवान नीलकंठ के दर्शन प्राप्त किए। उधर दुर्ग ऊपर एवं नीचे लगे मेले में महिलाओं एवं बच्चों ने खूब खरीददारी की। उधर तीन दिन कल्पवास के लिए हजारों लोगों ने डेरा डाल दिया। भक्तगणों की श्रद्धा के आगे दुर्ग की चढ़ाई बौनी नजर आई। श्रद्धालुओं ने किले में मनोहर दृश्यों का आनंद लिया। मध्यप्रदेश की सीमा से सटे दुर्ग में कई प्राचीन मंदिर है। मंदिर के रास्ते में जहां गणेश एवं हनुमान जी की प्रतिमाएं हैं वहीं पर आठ भुजाओं वाली कालभैरव की विशालकाय मूर्ति शोभायमान है। आस्था का केंद्र बिंदु भगवान नीलकंठेश्वर का मंदिर स्थापित है। ठीक मंदिर के ऊपर पहाड़ के बीचो-बीच गुफानुमा तीन खंड का नलकुंठ है जो सरग्वाह के नाम से जाना जाता है। अव्यवस्था के चलते कार्तिक मेले का पहला दिन बीता जहां पर श्रद्धालु पूरी रात अंधेरे में दुर्ग के ऊपर चढ़ते रहे। वहीं पर पीने का पानी सिर्फ के किले के ऊपर मंदिर के गेट के पास सिर्फ एक टैंक के सहारे लाखों लोगों की भीड़ के लिए रखा गया था। वहीं श्रद्धालु गंदगी के कारण कस्बे में आने से बचते रहे।
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खूब उमड़ा जनसैलाब, हजारों की संख्या में पहुंचे लोग
कालिंजर संवाद सूत्र : एतिहासिक कालिंजर दुर्ग में चल रहे पांच दिवसीय कार्तिक पूर्णिमा के दूसरे दिन भी भक्तों का सैलाब उमड़ा। शंख-घंटा-घड़ियाल से भगवान नीलकंठ की आरती गूंजती रही। मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश के सैकड़ों लोग कल्पवास करने के लिए डेरा डाले हुए हैं। लगभग 6 किमी. की परिधि में अजेय दुर्ग कालिंजर फैला हुआ है। पांच दिवसीय मेले में एक लाख से ऊपर श्रद्धालु दर्शन करते हैं। दोनो सीमाओं के लोगों का आवागमन दिनभर चलता रहा। सुरक्षा के लिए कई थानों की पुलिस लगी। रही। थाना निरीक्षक एमपी वर्मा ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों को बताया। कहा कि छह बैरियर लगाए गए हैं। वाहनों को अंदर जाने से रोका जा रहा है।
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