सैंपल नहीं पहुंचे हिसार, पाबंदी हटने का इंतजार
25 दिन से रखे हैं घोड़ों के सैंपल आवागमन में छूट का कर रहे इंतजार
बलरामपुर : आज जूनोसिस दिवस है, लेकिन इस बार जूनाटिक (पशुजनित या पशुजन्य) रोगों पर काबू पाने के लिए चल रहे अभियान में लॉकडाउन की बेड़ियां अनलॉक-2 में भी बाधा डाल रही हैं। कारण, घोड़े व खच्चरों में ग्लैंडर फारसी की आशंका को लेकर 19 जून को गैंड़ासबुजुर्ग क्षेत्र के पिड़िया खुर्द गांव में सैंपलिग की गई थी। इसमें 17 घोड़ों के नमूने लिए गए थे जिसे हरियाणा के हिसार भेजा जाना था, लेकिन वहां लगी पाबंदियों के चलते यह सैंपल यहीं रखे हैं। पशुपालन विभाग अब आवागमन में छूट का इंतजार कर रहा है।
ये है ग्लैंडर के लक्षण :
शरीर मे गांठें बनना नाक व आंख से पानी गिरना, शरीर पर फफोले बन जाना रोग की पहली पहचान है। पशु का सीरम हिसार भेजकर जांच कराने पर ही रोग की पुष्टि होती है। यह बीमारी इसलिए भी खतरनाक है, क्योंकि भट्ठों पर रहने वाले खच्चर व घोड़े दूसरे प्रांतों को भी ले जाए जाते हैं। जो संक्रमण का जरिया बन जाते हैं। ऐसे में जिन अश्व प्रजातियों में ग्लैंडर फारसी के लक्षण मिले, उन्हें मार दिया जाता है। छूट मिलते ही भेजा जाएगा सैंपल :
उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. सुरेंद्र कुमार ने बताया कि मुर्गियों से वर्ड फ्लू, सूकरों से स्वाइन फ्लू व जापानी इंसेफ्लाइटिस, कुत्ते से रैबीज बीमारियां इंसानों तक पहुंची। यही नहीं वैक्टीरिया पीड़ित पशुओं के गोबर से भी हैजा सहित कई बीमारियां आईं। रैंडम सैपंलिग की जा रही है। हरियाण में आवागमन में छूट मिलते ही सैंपल हिसार भेजा जाएगा।