प्रसूता के टांके टूटे तो आधी रात अस्पताल से निकाला
जचचा बच्च के स्वास्थ्य के प्रति अस्पताल की लापरवाही सामने आई
बलरामपुर : जच्चा-बच्चा की जिदगी से खुलेआम खिलवाड़ करना जिला महिला अस्पताल प्रशासन की नियति बन चुकी है। मरीजों से धन उगाही के लिए मशहूर चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों के संवेदनहीनता की हद तब हो गई जब आधी रात में प्रसूता को जबरन रेफर का पर्चा थमा दिया गया।
ललिया निवासी संतोष कुमार की पत्नी रीता ऑपरेशन से प्रसव के बाद आठ दिन से अस्पताल में भर्ती थी। चिकित्सक व कर्मियों की लापरवाही के कारण उसका टांका टूट गया था। हालत बिगड़ी तो अपनी गर्दन बचाने के लिए ऑपरेशन करने वाली महिला चिकित्सक ने उसे रातों-रात अस्पताल से निकाल दिया। प्रसव के बाद ही हो गई थी बच्चे की मौत
25 सितंबर को डॉ. माही कीर्ति सिसोदिया ने रीता का ऑपरेशन कर प्रसव कराया था। नवजात की हालत ठीक न होने पर एसएनसीयू वार्ड में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। तबसे वह अस्पताल में भर्ती थी। शुक्रवार की शाम उसके टांके टूट जाने से खून बहने लगा। आरोप है कि लेबर रूम में मौजूद स्टाफ से परिजन बार-बार मिन्नत करते रहे, लेकिन कोई झांकने तक नहीं आया। सीएमएस से शिकायत के बाद रात करीब साढ़े दस बजे महिला चिकित्सक पहुंची। उन्होंने हालत गंभीर होने की बात कहते हुए केजीएमयू लखनऊ रेफर का पर्चा थमा दिया। संतोष ने बताया कि जब तक रीता लेबर रूम में स्ट्रेचर पर लेटी रही, तब तक वहां मौजूद स्टाफ परिवारजन को धमकाता रहा। रात में करीब दो बजे एंबुलेंस आने पर रीता को लखनऊ ले जाया गया। जिम्मेदार के बोल :
सीएमएस डॉ. विनीता राय का कहना है कि मरीज के इलाज में कोई कोताही नहीं बरती गई है। हालत गंभीर होने पर ही चिकित्सक ने रेफर किया होगा।