काम का हो भुगतान, बेचैन हो उठे प्रधान
मनमाफिक बीएलओ की तैनाती को भिड़ा रहे जुगत भुगतान पाने को आंदोलन का मन बना रहा प्रधान संघ
बलरामपुर : गांवों में मतदाता सूची पुनरीक्षण की दस्तक के साथ ही पंचायत चुनाव की हलचल बढ़ गई है। ग्राम प्रधानों में खर्च बजट का हिसाब मिलान करने व भुगतान की चिता सताने लगी है। ब्लॉक कार्यालयों में प्रधानों की आमद बढ़ गई है। मनरेगा समेत अन्य योजनाओं से कराए गए कार्यों का भुगतान पाने के लिए प्रधानों की बेचैनी बढ़ती जा रही है, क्योंकि सामुदायिक शौचालय व पंचायत भवन के निर्माण पर ही बजट खर्च करने का निर्देश है।
मनमाफिक बीएलओ के तैनाती की जुगत :
-त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। एक अक्टूबर से मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्यक्रम शुरू हो जाएगा। पुनरीक्षण के बाद गांव के आरक्षण की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इसमें प्रधान, क्षेत्र व जिला पंचायत सदस्यों के वर्ग का निर्धारण होगा। प्रधान मनमाफिक बीएलओ की तैनाती के लिए जुगत भिड़ा रहे हैं।
भुगतान के लिए मची आपाधापी :
-मतदात पुनरीक्षण कार्यक्रम जारी होने के बाद गांवों में कराए गए विकास कार्यों के भुगतान को लेकर आपाधापी मची हुई है। कारण, शासन ने 15वें वित्त व अवशेष धनराशि से सामुदायिक शौचालय एवं पंचायत भवन के निर्माण को प्राथमिकता में शामिल किया है। ऐसे में नाली, खड़ंजा, सड़क, तालाब सुंदरीकरण समेत अन्य कार्यों पर खर्च का भुगतान फंस गया है। इसे लेकर प्रधान संघ आंदोलन का मन बना रहा है। प्रधान संघ अध्यक्ष दलबहादुर सिंह का कहना है कि सभी 800 ग्राम पंचायतों में प्रधानों के करोड़ों रुपये भुगतान नहीं हुआ है। डीपीआरओ से मुलाकात कर भुगतान की मांग की गई है।
जिम्मेदार के बोल :
-डीपीआरओ नीलेश प्रताप सिंह का कहना है कि 15वें वित्त की पहली किस्त 22 करोड़ से अधिक सभी नौ ब्लॉकों को भेजी गई है। यह धनराशि शौचालय व पंचायत भवन निर्माण पर व्यय की जाएगी।