जलभराव से मनरेगा श्रमिकों के सामने रोजगार का संकट
गांव में रोजगार दिलाने का प्रयास करने के बजाए जिम्मेदार कर रहे जलभराव का बहाना
बलरामपुर: गत दिनों पहाड़ी नालों व राप्ती नदी में आई बाढ़ ने मनरेगा श्रमिकों के सामने भी रोजी-रोटी का संकट पैदा कर दिया है। वजह, अधिकांश गांवों के आसपास जलभराव होने के कारण रोजगार सृजन नहीं हो पा रहा है। सदर ब्लाक में 40 हजार जाब कार्ड धारक हैं। इनमें सिर्फ 700 श्रमिकों को ही रोजगार मिला है। वहीं, जिम्मेदार इन श्रमिकों को गांव में रोजगार दिलाने का प्रयास करने के बजाए जलभराव का बहाना कर रहे हैं। ऐसे में, मनरेगा श्रमिक रोजी-रोटी को मोहताज हैं।
सदर ब्लाक में 116 ग्राम पंचायतें हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में 40 हजार श्रमिक पंजीकृत हैं। इसमें से 18 हजार सक्रिय हैं। सभी सक्रिय जाब कार्ड धारक मजदूरों को रोजगार देने में ब्लाक प्रशासन फेल साबित हो रहा है। जबकि गांवों के विकास के लिए करोड़ों का बजट खर्च किया जा रहा है। पानी भरा होने के कारण गांवों में चकमार्ग व मिट्टी पटाई समेत अन्य कार्य प्रभावित है।
25 दिन से नहीं मिला काम:
लिलवा के ताहिर, कमरूद्दीन, रंगे, नूरूल व छेदी ने बताया कि पानी भरा होने के कारण 25 दिन से रोजगार नहीं मिला है। सेवराहा निवासी संतोष कुमार, जयगोबिद, धर्मराज, जग प्रसाद ने बताया कि काम नहीं मिल रहा है। काम मांगने पर जलभराव खत्म होने की बात कहते हैं।
वहीं, रोवारी निवासी सुमरिन, धोखई, केश्व, गोवर्धन, देवता ने बताया कि मनरेगा से काम नहीं मिल रहा है। प्रधान अतीकुर्रहमान का कहना है कि खेतों में पानी भरा है। ऐसे में, कच्चा काम नहीं हो पा रहा है। जलभराव कम होते ही जाब कार्ड धारकों को रोजगार मिलने लगेगा।
पंचायत भवन निर्माण में लगे श्रमिक:
एपीओ मनरेगा आनंद चौधरी का कहना है कि 10 अगस्त से बारिश व बाढ़ के कारण कच्चे काम नहीं हो पा रहे हैं। आवास और पंचायत भवनों के निर्माण में मनरेगा श्रमिकों को लगाया गया है। बफावां समेत 95 गांवों में 700 श्रमिक काम कर रहे हैं।