मन में है विश्वास..हम होंगे कामयाब
तराई क्षेत्र के मैनहवा गांव में रहने वाले आनंद प्रताप सिंह ने यूपी बोर्ड इंटरमीडिएट की परीक्षा में जिले में सर्वाधिक अंक पाकर टापर होने का गौरव हासिल किया है।
तराई क्षेत्र के मैनहवा गांव में रहने वाले आनंद प्रताप सिंह ने यूपी बोर्ड इंटरमीडिएट की परीक्षा में जिले में सर्वाधिक अंक पाकर टापर होने का गौरव हासिल किया है। बलरामपुर सिटी मांटेसरी इंटर कालेज के छात्र आनंद अपनी सफलता के पीछे प्रधानाचार्य केपी यादव के मार्गदर्शन को एक मजबूत योगदान मानते हैं। साथ ही अपने माता-पिता को श्रेय देते हैं। आनंद के पिता अरुणेश कुमार सिंह एक किसान व माता पुष्पा सिंह गृहणी हैं। आनंद कहते हैं कि अब वह बीटेक की तैयारी के लिए बाहर जाएंगे। बीटेक उत्तीर्ण करने के बाद सिविल सेवा की तैयारी करेंगे। बताया कि उनका सपना आइएएस बनकर पिछड़े वर्ग के लोगों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ना है। चिकित्सक बन करेंगे गरीबों की सेवा :
-जिले की श्रेष्ठता सूची में दूसरा स्थान पाने वाले एचआरए इंटर कालेज के छात्र राम सजन अब मेडिकल लाइन में जाने की तैयारी में हैं। राम सजन के पिता अंगद राम यादव परिषदीय विद्यालय में सहायक अध्यापक हैं। माता मंजू देवी गृहणी हैं। राम सजन कहते हैं कि जिले के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी है। अक्सर अस्पताल में लुटते मरीजों का दर्द देखकर उनका हृदय द्रवित हो जाता है। इसलिए वह चिकित्सक बनकर गरीबों व असहायों की सेवा करना चाहते हैं। बताया कि चिकित्सक बनने के लिए अब मेडिकल परीक्षा की तैयारी करेंगे। उनके इस लक्ष्य के लिए माता-पिता भरपूर सहयोग दे रहे हैं। अपनी सफलता का श्रेय भी माता-पिता व गुरुजनों को देते हैं। आइएएस बनने का संजो रहे ख्वाब :
-यूपी बोर्ड 12वीं की परीक्षा में जिले में तीसरे स्थान पर रहने वाले बलरामपुर सिटी मांटेसरी इंटर कालेज के छात्र अविनाश वर्मा अब आइएएस बनने का सपना संजो रहे हैं। नगर से सटे फुलवरिया बाइपास निवासी अविनाश के पिता संतोष वर्मा व्यापारी व माता मीना वर्मा गृहणी हैं। अविनाश बताते हैं कि कक्षा आठ पास होने के बाद ही उन्होंने सिविल सेवा में जाने का मन बना लिया था। तबसे वह अपने लक्ष्य को साध कर आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं। कहा कि 12वीं परीक्षा में गणित वर्ग से पढ़ाई की है। जिले के टाप-थ्री में नाम होने से उत्साह बढ़ा है। इसके लिए अपने माता-पिता के सहयोग व गुरुजन के मार्गदर्शन को श्रेय देते हैं। कहते हैं कि अपने लक्ष्य को पाने के लिए अब वह बाहर जाकर पढ़ाई करेंगे। ईश्वर की कृपा रही तो अपना ख्वाब पूरा करके ही लौटेंगे।