एलटी है न स्टाफ नर्स, संसाधनों को अस्पताल रहा तरस
बलरामपुर स्टाफ नर्स व सिस्टर के 15 पद हैं रिक्त डिजिटल एक्स-रे मशीन के अभाव नहीं स्पष्ट होती चोट ।
बलरामपुर : स्टाफ नर्स व सिस्टर के 15 पद हैं रिक्त, डिजिटल एक्स-रे मशीन के अभाव नहीं स्पष्ट होती चोट ।
संवादसूत्र, बलरामपुर :
जनपद सृजन के 24 साल बीतने के बाद भी जिला मेमोरियल अस्पताल में संसाधनों की कमी दूर नहीं हो सकी है। आलम यह है कि अस्पताल में 15 नर्स के पद रिक्त हैं, लेकिन तैनाती नहीं हो रही है। इसी तरह लैब टेक्नीशियन व लैब सहायक का पद ही नहीं है। गिनती के संविदा चिकित्सकों के सहारे मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का दावा किया जा रहा है। यह हाल तब है जब यहां 24 घंटे इमरजेंसी संचालित होती है। दुर्घटना व आपात चिकित्सा के मामले दिन-रात आते रहते हैं। विडंबना यह है कि शवों को सुरक्षित रखने के लिए मंगवाया गया डीप फ्रीजर चार साल से धूल फांक रहा है। इतना सब होने के बाद भी उच्चाधिकारियों की उदासीनता अस्पताल प्रशासन व मरीजों पर भारी पड़ रही है।
-जिला मेमोरियल अस्पताल नगर का प्रमुख अस्पताल है। नगर की सवा लाख आबादी समेत दूरदराज ग्रामीण क्षेत्र के मरीज भी सुलभ इलाज को यहीं आते हैं। अस्पताल में नवनिर्मित पानी टंकी दो साल से शोपीस बनी हुई है। पुरानी छोटी टंकी से जलापूर्ति की जा रही है। पानी टंकी संचालन के लिए बोरिग निर्माण कराने को सीएमएस ने 18 दिसंबर 2020 व 21 जून 2021 को उच्चाधिकारियों को पत्र लिखे, लेकिन नतीजा सिफर रहा। हड्डी रोगियों के इलाज के लिए पुरानी एक्स-रे मशीन से काम चलाया जा रहा है। इससे प्रिट धुंधला आने पर चोट का स्पष्ट पता नहीं चल पाता है। 18 फरवरी को डिजिटल एक्स-रे मशीन की मांग की गई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। ऐसे में यहां हड्डी रोगियों का इलाज अंदाज पर हो रहा है। इन पदों पर नहीं है तैनाती :
-अस्पताल में रेडियोलाजिस्ट व एनेस्थेसिस्ट की तैनाती नहीं है। ऐसे में उधारी का निश्चेतक बुलाकर आपरेशन करना पड़ता है। स्टाफ नर्स के 12 व सिस्टर के तीन पद रिक्त हैं। छह संविदा स्टाफ नर्स हैं। इनमें से तीन एनआरसी व दो वैक्सीनेशन की जिम्मेदारी निभा रहीं हैं। एक नर्स रात ड्यूटी में रहती हैं। अस्पताल में खून, पेशाब आदि जांच के लिए लैब तो है, लेकिन टेक्नीशियन व सहायक का पद ही नहीं है। यहां अन्य अस्पतालों के कर्मियों को संबद्ध कर काम चलाया जा रहा है।
कई बार लिखा पत्र : सीएसए डा. अरुण कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि संसाधनों की कमी के बारे में उच्चाधिकारियों को कई बार पत्र लिखा गया है। सीमित संसाधनों के सहारे बेहतर सेवाएं देने का प्रयास किया जाता है।