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दीनदयाल की थाप पर इठला रही थारू संस्कृति

बलरामपुर थारू समाज की संस्कृति को सहेज रहे दीनदयाल।

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 11:22 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 11:22 PM (IST)
दीनदयाल की थाप पर इठला रही थारू संस्कृति
दीनदयाल की थाप पर इठला रही थारू संस्कृति

श्लोक मिश्र, बलरामपुर :

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महाराणा प्रताप के वंशज कहे जाने वाले थारू समाज की संस्कृति को सहेजने के लिए पंडित दीन दयाल शोध संस्थान 34 वर्षों से प्रयासरत है। भारत-नेपाल सीमा पर गैंसड़ी एवं पचपेड़वा विकास खंड की 54 ग्राम पंचायतों में थारू परिवार आबाद हैं। थारूओं का रहन-सहन पूजा-पाठ,रीति रिवाज, पोशाक आदि इन्हें विशिष्ट बनाती हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी थारुओं से खासा लगाव है। थारू बालक-बालिकाओं को उच्च शिक्षा देने के लिए इमिलिया कोड़र दीनदयाल शोध संस्थान में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय का अध्ययन केंद्र संचालित है। थारू महिलाओं के हाथों से निर्मित टोकरी, टोपी, पोशाक, हाथ पंखा आदि वस्तुओं की बिक्री के लिए रिजर्व पुलिस लाइन की कैंटीन में जगह दी गई है। इससे उन्हें उनके उत्पादों का उचित मिल रहा है। इससे उनका जीवन स्तर सुधर रहा है। - आधुनिकता की चकाचौंध में नई पीढ़ी अपनी संस्कृति को न भूले इसके लिए पंडित दीनयाल शोध संस्थान का प्रयास रंग ला रहा है। वर्ष 1988 से पंडित दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना भारत रत्न नानाजी देशमुख ने इमिलिया कोड़र में कराई थी। यहां थारू युवाओं को उच्च शिक्षा देने के लिए वर्ष 2017 में इग्नू अध्ययन केंद्र की स्थापना की गई। यहां से उच्च शिक्षा पाकर थारू युवा रोजगार से जुड़ रहे हैं। संस्थान ने भारत सरकार को पांच एकड़ जमीन दान की है। इसकी रजिस्ट्री प्रदेश सरकार के पक्ष में कर दी गई है। जहां राज्य स्तरीय म्यूजियम का निर्माण कर थारुओं की संस्कृति को सुरक्षित किया जाएगा। करीब 30 करोड़ की लागत से म्यूजियम का भवन बन रहा है। इसमें थारुओं के वेश-आभूषण, वाद्य यंत्र व कलाकृतियों को सुरक्षित रखा जाएगा। ताकि आने वाली पीढ़ी अपनी अमूल्य धरोहर से अनजान न रहे।

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35 हजार थारू हैं आबाद :

-पचपेड़वा व गैंसड़ी विकास खंड थारू के 54 गांवों में थारू जनजाति के लोग निवास करते हैं। इन गांवों में थारुओं की आबादी करीब 35 हजार है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का थारू समाज के लोगों से खासा लगाव है। थारुओं की अनूठी परंपरा सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है। इसमें लोकगीत, समूह नृत्य व पारंपरिक वाद्य यंत्रों का खास महत्व है।

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हम किसी से कम नहीं :

-प्रधानाचार्य रामकृपाल शुक्ल का कहना है कि महाराणा प्रताप जयंती महोत्सव पर आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मंच पर थारू जनजाति की संस्कृति को सहेजने के लिए संग्रहालय व मिनी स्टेडियम की मांग की गई थी। जो पूरा हो गया। राज्य स्तरीय संग्रहालय बन जाने से युवा पीढ़ी को अपनी सभ्यता व इतिहास की जानकारी आसानी से मिल सकेगी।


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