पंछी, दरिया, पवन के झोंके न जाने सरहद के धोखे
रमन मिश्र बलरामपुर सोहेलवा की वादियों में विदेशी मेहमानों का कलरव शुरू से ही पर्यट
रमन मिश्र, बलरामपुर :
सोहेलवा की वादियों में विदेशी मेहमानों का कलरव शुरू से ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। ठंड शुरू होते ही विदेशी पक्षियों की आमद बढ़ जाती है, लेकिन आंशिक क्षेत्र गैर जनपद में होने के कारण इनकी सुरक्षा प्रभावित हो रही है। सोहेलवा वन्यजीव प्रभाग के अधिकार क्षेत्र में आने वाली पार्वती अरगा झील (जनपद गोंडा में स्थित) मेहमान पक्षियों का गढ़ माना जाता है, लेकिन दूरी अधिक होने से इनकी निगरानी में मशक्कत करनी पड़ती है। इसका भरपूर फायदा शिकारी उठा रहे हैं। हालांकि वन विभाग का दावा है कि स्थानीय लोगों और वन कर्मियों के सहयोग से शिकार नहीं होने पा रहा है। झील के अस्तित्व पर खतरा :
सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग का कार्यालय बलरामपुर में स्थित है, जबकि पार्वती अरगा झील कार्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर वजीरगंज गोंडा में है। ऐसे में यहां की गतिविधियों पर निगरानी रख पाने में वन विभाग को पसीने छूट रहे हैं। पूर्व में झील की जमीन पर अवैध कब्जा किए जाने का मामला भी सामने आ चुका है। ऐसे में 1084 हेक्टेयर में फैले पार्वती अरगा झील के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।
सीमांकन ने बढ़ाई परेशानी :
-एक अधिकारी की मानें तो सीमांकन के समय ध्यान नहीं रखा गया। बलरामपुर जिले में उतरौला व कुआंनों जंगल है। इसकी निगरानी गोंडा वन प्रभाग कर रहा है, जबकि गोंडा के वजीरगंज में स्थित पार्वती अरगा की जिम्मेदारी बलरामपुर के कंधों पर है। इसी तरह पूर्वी व पश्चिमी सोहेलवा श्रावस्ती जनपद में आता है। गलत सीमांकन के चलते ही निगरानी में समस्या पैदा हो रही है।
वर्जन-
पार्वती अरगा झील के वजूद को बचाने के लिए कवायद शुरू कर दी गई है। विदेशी पक्षियों को आश्रय देने के लिए झील में पानी की उपलब्धता बनाए रखने की कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। मेहमानों को बचाने के लिए स्थानीय ग्राम प्रधानों का सहयोग लिया जा रहा है। सीमा परिवर्तन के लिए पूर्व में पत्राचार किया जा चुका है।
-रजनीकांत मित्तल, डीएफओ