नदी में गायब बच्चों की तलाश में जुटी एसडीआरएफ
रविवार शाम को नदी की धारा में गायब हो गए थे तीन बचे तलाश में मशक्कत कर रहे गोताखोर व प्रशासनिक अमला
बलरामपुर : राप्ती नदी के श्रृंगारजोत घाट पर नहाने गए महुआधनी गांव निवासी गुड्डन, अरबाज व हामिद रजा उर्फ छोटू का पता 24 घंटे बाद भी नहीं लग सका है। रविवार शाम से ही प्रशासनिक अमला तीनों बालकों की तलाश में मशक्कत कर रहा है, लेकिन कोई सफलता नहीं मिल सकी है। राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की टीम ने सोमवार सुबह पहुंचकर नदी में बच्चों की तलाश के लिए काफी परिश्रम किया। स्थानीय तैराकों ने भी काफी लंबाई तक नदी में बच्चों को ढूंढ़ने का प्रयास किया, लेकिन सब व्यर्थ रहा। उधर तीनों बच्चों के परिवारजन का रो-रोकर हाल बेहाल है।
घाट पर जमा है प्रशासनिक अमला :
तीन बच्चों के नदी में गायब हो जाने के बाद ग्रामीणों के साथ प्रशासनिक अमला भी घाट पर जमा हुआ है। रात में अपर जिलाधिकारी अरुण कुमार शुक्ल व अपर पुलिस अधीक्षक अरविद कुमार मिश्र देर तक नदी के पास बैठे रहे। जनरेटर से प्रकाश की व्यवस्था कराकर बच्चों की तलाश कराई गई। सुबह विधायक रामप्रताप वर्मा भी घाट पर पहुंचे।
एसडीएम डा. नागेंद्र नाथ यादव व क्षेत्राधिकारी राधारमण सिंह को बच्चों को खोजने के लिए हर संभव प्रयास करने का निर्देश दिया। ग्रामीणों ने बताया कि संभवत: बच्चे जल प्रवाह के साथ बहकर काफी दूर तक चले गए हैं। इसलिए उनका पता नहीं चल पा रहा है।
वहीं, एसडीएम नागेंद्र नाथ यादव का कहना है की एसडीआरएफ की टीम स्टीमर के साथ नदी में संभावित स्थानों पर गोता लगाकर बच्चों की तलाश कर रही है। एसडीआरएफ के सेनानायक डा. सतीश कुमार ने बताया कि 19 सदस्यीय टीम नदी में बहाव की तरफ तलाश कर रहे हैं। शीघ्र ही सफलता मिलने की उम्मीद है।
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'घाट से आने वाले बता..मेरे लाल की कोई खबर है क्या'
बलरामपुर : रविवार को राप्ती नदी में नहाने गए महुआधनी गांव के तीनों बच्चों का पता नहीं चल सका है। नदी के किनारे रहने वाले ग्रामीणों को अब तक यह विश्वास नहीं हो पा रहा है कि जिस नदी की धारा में छोटे-छोटे बच्चे बरसात में भी तैरकर नहा लेते थे, वही नदी कम पानी में तीन होनहारों का जीवन निगल सकती है। लापता बच्चों के परिवारजन नदी किनारे बैठकर किसी भी समय बच्चों के वापसी की बाट जोह रहे हैं।
रविवार की रात अरबाज, इरफान व मुस्तफा रजा के परिवार का कोई सदस्य चैन से नहीं रह पाया। हर घड़ी नदी की ओर से आने वाले व्यक्ति पर उनकी निगाह टिकी रही। अरबाज अपने आठ भाई बहनों में सातवें नंबर पर था। उसकी मां बानो नदी की ओर जाने वाले हर आदमी से अपने बेटे के बारे में पूछ रही थी।
इरफान के पिता शनिवार को ही परदेश से घर आए थे। तीन भाई-बहनों वाले परिवार के सबसे बड़े बेटे इरफान से अभी पूरी तरह बैठकर बातचीत भी नहीं कर पाए थे। मां शकीला रो-रोकर बेहाल है। पिता रविवार रात से ही नदी तट पर बैठकर एसडीआरएफ व स्थानीय गोताखोरों की हर गतिविधि पर नजर गड़ाए हुए हैं। नदी से डुबकी लगाकर निकलने वाले हर तैराक को जिज्ञासा भरी नजर से देखते हैं कि शायद उनके बच्चे के संबंध में कोई सूचना मिलने वाली हो।
पांच भाई-बहनों वाले मुस्तफा रजा के पिता कौसर अली तो जैसे सुधबुध ही खो बैठे हैं। बेटे के गम में वह लोगों के बजाय अपने बच्चों से पूछते हैं कि 'बाबू कब आएगा। बाबू ने कुछ खाया होगा कि नहीं।' नदी पर लगने वाली ग्रामीणों की भीड़ भी तीन बच्चों के साथ हुई घटना से विह्वल है।
जारी है तलाशी :
एसडीएम डा. नागेंद्र नाथ यादव का कहना है कि लापता बच्चों की तलाश में राज्य आपदा मोचन बल के साथ गांव के अच्छे तैराकों को लगाया गया है। संभावना है कि बच्चे किसी जगह फंस गए हों। रेस्कयू टीम को अभियान जारी रखने का निर्देश दिया गया है।