घाटे से नहीं उबर रहा रोडवेज, एक करोड की चपत
15 रोडवेज बसें हुई सरेंडर प्रोत्साहन राशि में भी कटौती
बलरामपुर : लॉकडाउन के झटके के बाद घाटे में गया रोडवेज अब बाहर नहीं निकल पा रहा है। डीजल के बढ़ते खर्च व यात्रियों के कम निकलने से परेशान अफसरों को कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है। पिछले वर्ष जून में परिवहन निगम का लोड फैक्टर 71 प्रतिशत था ,लेकिन तीन माह के लॉक डाउन के बाद जून में सेवाएं शुरू हुई। 40 प्रतिशत से आगे नहीं जा सका। गतवर्ष जून में रोडवेज ने दो करोड़ 76 लाख 73 हजार 699 रुपये कमाए थे लेकिन इस बार यह आंकड़ा एक करोड़ 60 लाख 61 हजार 918 पर ही सिमट गया है। कमाई न होने के चलते रोडवेज प्रशासन अब बसों का टैक्स देने की स्थिति में भी नहीं रह गया है। करीब एक लाख 20 हजार रुपया टैक्स बचाने के लिए निगम प्रशासन ने एक माह के लिए 15 रोडवेज बसें सरेंडर कर दी हैं। जिससे अब रूट पर 76 की जगह केवल 61 बसें ही संचालित रहेंगी। पहले स्थाई कर्मचारियों को मिलेगी ड्यूटी :
-घाटे में चल रहे परिवहन निगम नुकसान की पूर्ति कर्मचारियों से कर रहा है। जून व जुलाई में संविदा कर्मियों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि में कटौती कर ली गई। इसे लेकर कर्मचारियों में काफी आक्रोश रहा। कटौती के लिए अब रोडवेज पहले स्थाई कर्मचारियों से ड्यूटी कराएगा। फिर जरूरत पड़ने पर संविदाकर्मियों से कार्य लिया जाएगा। जिन्हें किमी के आधार पर भुगतान मिलेगा।
कर्मियों को विनम्र बनने की नसीहत :
-परिवहन निगम के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक विश्राम ने बताया कि डीजल का दाम बढ़ने व यात्रियों के कम निकलने से रोडवेज बसें घाटे में चल रही है। एमडी के निर्देश पर 15 रोडवेज बसें सरेंडर कर दी गई है। जो एक माह तक नहीं चलेंगी। उन्होंने बताया कि आय बढ़ाने के लिए चालकों व परिचालकों को सख्त हिदायत दी गई है कि वह अपने व्यवहार में परिवर्तन कर विनम्रता दिखाएं। जिससे अधिक से अधिक यात्री बस सेवा का लाभ उठाएं।