रेस्टोरेशन पर करोड़ों खर्च, नहीं बुझ रही खेतों की प्यास
दो साल से नहीं खुला उतरौला राजवहा का फाटक करोड़ों खर्च के बाद भी नहरों में नहीं पानी।
श्लोक मिश्र, बलरामपुर : सिचाई विभाग के अभियंताओं का खेल निराला है। सरयू नहर खंड-चतुर्थ के अधीन उतरौला राजवहा का फाटक न खुलने से खेतों की प्यास नहीं बुझ रही है। उतरौला राजवहा में 424 क्यूसेक पानी है। इससे जुड़ी सेखुइया, भगौतापुर, बभनपुरवा व गुलवरिया माइनर से 50 से अधिक गांवों के किसानों को सिचाई सुविधा मिलती है, लेकिन गेट न खुलने से ऐसा नहीं हो पा रहा है। नहरों के रेस्टोरेशन व सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी खेतों को पानी नसीब नहीं है। इससे गन्ने की फसल सूख गई है। धान की बेड़न नहीं पड़ पा रही है। बावजूद इसके सरयू नहर खंड-चतुर्थ के अधिशासी अभियंता सब कुछ ठीक होने का दम भर रहे हैं।
21477 हेक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित :
-उतरौला राजवहा व उससे निकली माइनरों से 21477 हेक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित होता है। उतरौला राजवहा की लंबाई 41.135 किलोमीटर है। इससे 17376 हेक्टेयर क्षेत्रफल में रबी व खरीफ की फसलें प्रभावित होती हैं। 9.900 किमी लंबी सेखुइया माइनर से 2006 हेक्टेयर क्षेत्रफलों में फसलों की सिचाई की जाती है। 9.300 किमी लंबे भगवानपुर माइनर से 1580 हेक्टेयर क्षेत्रफल, 2.270 किमी लंबे बभनपुरवा माइनर से 314 हेक्टेयर व 3.600 किमी लंबे गुलवरिया माइनर से 201 हेक्टेयर क्षेत्रफल में खेतों की सिचाई प्रभावित होती है।
दो साल से नहीं चला पानी :
-उतरौला राजवहा गेट के अस्थाई संचालक महेश कुमार का कहना है कि अधिशासी अभियंता ने पानी चलाने से मना कर रखा है। पिछले वर्ष भी नहीं चलाने दिया था। इस बार भी नहर में खराबी बताकर रोक रखा है। बताया कि वह मुख्य रूप से 50 मीटर दूर बस्ती शाखा गेट का संचालक है। यहां अस्थाई तौर पर कार्य के लिए आता है। जब तक साहब लोगों का आदेश नहीं मिलता, गेट नहीं चला सकता। ऐसे में यहां की नहरों में पानी बारिश में ही नजर आता है। यह हाल तब है जब नहरों के रेस्टोरेशन, सिल्ट सफाई, चौड़ीकरण व उच्चीकरण के नाम पर करोड़ों रुपये का वारा न्यारा कर दिया गया।
डीएम को दी जाएगी जानकारी :
-अपर जिलाधिकारी राम अभिलाष का कहना है कि मामले से जिलाधिकारी को अवगत कराया जाएगा। अधिशासी अभियंता से वार्ता कर किसानों को सिचाई के लिए पानी मुहैया कराया जाएगा।