दिव्यांगजनों के घर राशन पहुंचाएंगे कोटेदार
. डॉ. राकेश कुमार का कहना है कि दिव्यांगजनों को उनके दरवाजे पर राशन देने की योजना शुरू है। ऐसे गांव जहां नेटवर्क की दिक्कत थी। उनको डार्क जोन में शामिल किया गया है। वहां रजिस्टर पर वितरण के बाद कोटेदार ई-पॉश मशीन में विवरण फीड करेगा। कहाकि पोर्टबिलिटि व्यवस्था ग्रामीण क्षेत्रों में नवंबर से शुरू की गई। जबकि शहरी क्षेत्र में सितंबर से लागू है।
अमित श्रीवास्तव, बलरामपुर :
दिव्यांगों को अनाज लेने के लिए अब सस्ते गल्ले की दुकान का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। कोटेदार उनके घर अनाज मुहैया कराएंगे। एक दिसंबर से यह व्यवस्था लागू होगी।
जिले में 876 राशन की दुकानें संचालित हो रही हैं। दिव्यांगों को राशन लेने के काफी दूरी तय करनी पड़ रही थी। अधिकांश दिव्यांग अधिक दूरी होने के कारण राशन नहीं ले पाते थे। इस पहल के तहत ग्रामीण के 267 व शहरी क्षेत्र के 19 दिव्यांगजनों को चिह्नित किया गया है। ये ऐसे दिव्यांग हैं जिनके नाम से राशन कार्ड बना है, लेकिन रहते अकेले हैं। ऐसे 300 कार्डधारकों का पूरा विवरण संबंधित कोटेदार को उपलब्ध करा दिया गया है। कोटेदार हर माह इनके दरवाजे पर राशन पहुंचाएंगे। इसके लिए उनको ई-पॉश मशीन साथ ले जानी पड़ेगी। डार्क जोन में सात गांव :
- जिले के तीन ब्लॉकों के सात गांवों को डार्क जोन में रखा गया है। नेपाल सीमा से सटे जंगलवर्ती ऐसे सात ग्राम पंचायतें हैं जहां पर इंटरनेट है ही नहीं। ई-पॉश मशीने नमूना साबित हो रही है। अब ऐसे कार्डधारकों को आराम से अनाज मिल सकेगा। रजिस्टर पर वितरण के बाद नेटवर्क वाली जगह पर जाकर कोटेदार ई-पॉश मशीन में विवरण दर्ज कर सकेंगे। वर्जन-
दिव्यांगों के घर कोटेदार राशन लेकर जाएंगे। बिना नेटवर्क वाले गांवों के लिए भी व्यवस्था बनाई गई है।
डॉ. राकेश कुमार, क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी