दर्द की चिता न अफसरों का डर, महिला कर्मी मरीज भेजती बाहर
सरकारी जांच व दवाएं बेकार बताकर हो रहा शोषण निजी पैथोलाजी व मेडिकल स्टोरों पर लुट
सरकारी जांच व दवाएं बेकार बताकर हो रहा शोषण, निजी पैथोलाजी व मेडिकल स्टोरों पर लुट रहे मरीज संवादसूत्र, बलरामपुर :
जिलाधिकारी की सख्ती के बावजूद महिला अस्पताल में महिलाओं की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। संक्रमण के बढ़ते खतरे के बीच कोविड प्रोटोकाल के नियम व निश्शुल्क इलाज की उम्मीदें दम तोड़ रही हैं। आपस में धक्का मुक्की करने से रोकने व कतार लगाकर शारीरिक दूरी के नियमों का पालन कराने के लिए जिन महिला कर्मियों को तैनात किया गया है, वह अपनी जिम्मेदारी भूलकर कमाई में जुट गई हैं। इन्हें न तो अपने अफसरों का डर है और न ही मरीजों के दर्द का ख्याल। ऐसे में इलाज कराने आए गरीब महिला मरीजों व तीमारदारों को बहला फुसलाकर निजी पैथोलाजी पर जांच कराने व मेडिकल स्टोरों पर दवाएं खरीदने के लिए भेज रहीं हैं। यहां उनका शोषण हो रहा है। ओपीडी से ही गर्भवती का शोषण शुरू हो जाता है जो प्रसव होने तक चलता रहता है।
प्रसव के नाम पर नहीं थम रही वसूली :
-जिलाधिकारी,सीएमओ भले ही संस्थागत प्रसव कराने पर जोर दे रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद प्रसव कक्ष में वसूली का खेल नहीं बंद हो रहा है। पचपेड़वा की रजिया ने बताया कि प्रसव कराने के लिए परिवार के लोगों से छह हजार रुपये की मांग की गई। तुलसीपुर के वीरेंद्र ने बताया कि महिला अस्पताल में आपरेशन के लिए पांच हजार की मांग गई थी। यह तो बानगी भर है। इसी तरह की मांग अधिकांश मरीजों से की जाती है। महिला अस्पताल की अधीक्षक डा.विनीता राय का कहना है कि सभी कर्मियों को सख्त हिदायत दी जा चुकी है। यदि किसी मरीज या तीमारदार से कोई भी कर्मचारी रुपये मांगता है तो सूचित करें संबंधित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।