समाज के लिए मिसाल बन जान बचा रहे रक्तदाता
लहू देकर बचा रहे गर्भवती व बीमारों की जिदगी।
संवादसूत्र, बलरामपुर : एक दूसरे को शिकस्त देकर आगे बढ़ने की होड़ भरी जिदगी में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो व्यक्ति ही नही समाज व राष्ट्र के लिए आदर्श बनकर इंसानियत के धर्म को निभाने में पीछे नहीं रहते। बीमार व लाचार की सेवा तो वैसे ही पुण्य का कार्य है। इसमें रक्तदान सबसे बढ़कर है। 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस पर कुछ ऐसे समाजसेवियों की बात करेंगे जिन्होंने रक्तदान की मशाल थमाकर समाज को एक नई राह दिखाई है। उम्र के आधे पड़ाव पर पहुंचे कई रक्तदानी तो 23 से 24 बार खून देकर आज भी समाज व युवाओं के लिए आदर्श बने हुए हैं।
रक्तदान के लिए प्रेरणा बनें आलोक :
दिनोंदिन संवेदनहीन हो रही जिदगी में आलोक युवाओं को रक्तदान की राह दिखा मदद का जज्बा पैदा कर रहे हैं। तुलसीपार्क में किताब की दुकान चला रहे आलोक अग्रवाल अब तक 24 बार रक्तदान कर चुके हैं। 2016 से नियमित रक्तदान कर रहे आलोक अग्रवाल न केवल खुद रक्तदान करते हैं बल्कि कैंप लगवाकर दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं। रक्तदान में अग्रणी भूमिका के लिए उन्हें कई सम्मान भी मिल चुके हैं।
युवाओं व आधी आबादी ने भी समझी जिम्मेदारी: रक्तदान जैसे पुनीत कार्य में आधी आबादी भी पीछे नहीं है। अनुप्रीति कौर, पूजा वर्मा,अंशिका अग्रवाल, विद्या मिश्रा व खुशी शर्मा ने केवल खुद रक्तदान किया, बल्कि दूसरों को भी प्रेरित कर मुहिम को आगे बढ़ा रही हैं। कुमार पीयूष, डा.नितिन, अब्दुल कादिर,उमेश वर्मा भी समय-समय पर खून देकर रिकार्ड बना चुके हैं। इन सबके साथ एसएसबी जवान भी खून देकर लोगों की जान बचा रहे हैं।