वजूद खोते जा रहे गांवों में बने पंचायत भवन
लाखों रुपये खर्च कर बनवाए गए ग्राम पंचायत सचिवालय अपना वजूद खोते जा रहे हैं। गांवों में बने पंचायत भवन बैठक न होने व रखरखाव के अभाव में जर्जर हो गए हैं। जिम्मेदार पंचायत भवन की रंगाई-पुताई व मरम्मत करवाने की जहमत नहीं उठा रहे हैं। ऐसे में खुली बैठक न होने से ग्रामीणों को विकास योजनाओं की जानकारी भी नहीं मिल पाती है।
बलरामपुर : लाखों रुपये खर्च कर बनवाए गए ग्राम पंचायत सचिवालय (भवन) अपना वजूद खोते जा रहे हैं। गांवों में बने पंचायत भवनों में खुली बैठकों का आयोजन नहीं होता है। जिससे ग्रामीणों को योजनाओं की जानकारी नहीं हो पाती है। रखरखाव के अभाव में भवन जर्जर हो गए हैं। जिम्मेदार पंचायत भवन की रंगाई-पोताई व मरम्मत करवाने की जहमत नहीं उठा रहे हैं।
ग्राम पंचायत धमौली का पंचायत भवन सड़क के किनारे बना दिया गया है। जिसके दोनों तरफ दूर-दूर तक गांव नहीं है। ग्रामीण सीताराम, हरेंद्र नाथ ने बताया कि यहां कभी बैठक नहीं हुई। भवन में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। खिड़की व दरवाजा टूटा है।
ग्राम पंचायत पंडरी रैकवार व पिपरा रामचंद्रर में बने पंचायत भवन की फर्श टूट चुकी है। चारों तरफ गंदगी बिखरी है। ग्रामीण बुद्धिसागर व तिलकराम का कहना है कि पंचायत भवन में कभी बैठक होती है और न ही सफाई कराई जाती है।
ग्राम पंचायत गुलरहा में बना पंचायत भवन शोपीस साबित हो रहा है। भवन जर्जर है। यहां मवेशियों का अड्डा बना हुआ है। यहां खुली बैठक नहीं होती। जिससे ग्रामीणों को योजनाओं का पता नहीं चल पाता है।
ये मामले तो महज बानगी भर हैं। क्षेत्र में बने अधिकांश ग्राम पंचायत भवन रखरखाव के अभाव में निष्प्रयोज्य साबित हो रहे हैं। विभागीय अधिकारियों ने भवन बनने के बाद कभी पड़ताल करना मुनासिब नहीं समझा। जिससे पंचायत भवनों की बदहाली दूर नहीं हो सकी है। खंड विकास अधिकारी अशोक कुमार दुबे का कहना है कि भवन मरम्मत व दो भवन का नवनिर्माण के लिए बजट मिला है। अन्य पंचायत भवनों के मरम्मत का प्रस्ताव भेजा गया है। स्वीकृति मिलते ही कार्य शुरू करा दिया जाएगा।