बाराबंकी से खेतों की सिचाई देख रहे अफसर
जुलाई से नदी के बाहर रखी है मोटर सहित नाव अवर अभियंता को मरम्मत के लिए निर्देश का इंतजार
बलरामपुर : हर खेत को पानी देने के लिए 42 साल पहले लघु सिचाई योजना के तहत राप्ती नदी में लिफ्ट कैनाल की व्यवस्था की गई थी। नदी का पानी लिफ्ट करके सिचाई की सुविधा मिलने से किसान गदगद थे, लेकिन करीब दो साल से कटरा शंकरनगर गांव के पास लगा पंप बंद है। इससे एक हजार बीघा से अधिक क्षेत्रफल में लगी फसल को समय से पानी नहीं मिल पाता है। इसका असर फसलों के उत्पादन पर पड़ रहा है। लघु राज्य सिचाई विभाग का कार्यालय बाराबंकी में होने के कारण किसानों की आवाज अधिकारियों तक नहीं पहुंच पाती है। राप्ती नदी के कछार वाले किसानों की फसल आपदा के कारण अधिक प्रभावित होती थी। इसे देखते हुए 1978 में स्टील के नाव पर पंप (दस हार्स पावर मोटर) लगाकर नदी में उतारा गया। नाव उसी स्थान पर खड़ी की गई जहां से नदी का पानी लिफ्ट करके नाली के जरिए आसानी से खेतों तक पहुंच सके। नदी से सटे गांव मिर्जापुर, सिसई, कटरा शंकरनगर व सायडीह गांव के पास नाव खड़ी की गई थी। इसमें से तीन नाव का पता नहीं है जबकि कटरा शंकरनगर की नाव जुलाई में पलट गई। क्रेन से उसे निकाला गया, लेकिन उसकी मरम्मत अब तक नहीं की गई। इससे किसान निजी साधन से सिचाई करने को मजबूर हैं।
किसान दयाराम, श्याम लाल, मनीराम मिश्र, भगई व जानकी प्रसाद का कहना है कि नदी से बाहर मोटर सहित नाव पांच माह से पड़ी है। गेहूं की बोआई का समय है। खेतों में नमी कम होने के कारण बोआई पिछड़ रही है। अधिकांश नालियां भी क्षतिग्रस्त हो गई है।
निर्देश का इंतजार : - अवर अभियंता अरूण कुमार का कहना है कि उच्चाधिकारियों को सूचना दी गई है, लेकिन अब तक मरम्मत के लिए कोई निर्देश नहीं मिला है।